जिसको छुप छुप मैं तकती थी,,जिसपे सच मुच मैं मरती थी,,
जिसकी आहें मैं भरती थी,,जिसकी चिट्ठीयां मैं पढ़ती थी,,
ये तो वही दिवाना है, ये तो वही दिवाना है,,
जिसकी बातों में जादू था,,दिल जिसके लिए बेकाबू था,,
जिसकी आखों में रव़ानी थी,,जिसकी मैं दिवानी थी,,
ये तो वही दिवाना है, ये तो वही दिवाना है,,
जिसने मिलने बुलाया था,,जिसने उंगली को दबाया था,,
जिसकी बांहो में थी मैं झूमी,,जिसके अधरो को थी मैं चूमी,,
ये तो वही दिवाना है, ये तो वही दिवाना है,,
जिसने चूड़ी मुझको दिलाई थी,,जिसने अपनी गजल़े सुनाई थी,
जिसके ख्वाबों की मै रानी थी,,जिसके योवन की मैं जवानी थी,,
ये तो वही दिवाना है, ये तो वही दिवाना है,,
जिसने कसमें भी खाई थी,,जिसने रस्म़ें निभाई थी,,
जिसको धोखा दिया मैनें,,जिसको दग़ा दे आई थी,,
ये तो वही दिवाना है, ये तो वही दिवाना है,,
#सचिन राणा हीरो
हरिद्वार(उत्तराखंड)