देखकर तुम्हें बढ़ जाती थी धड़कन गुड़मुड़ भावों का आलोड़न चिहुंक उठती थी उत्कंठाएं। न जिन्हें, कितने लाती थी संदेश! कभी खुलकर तो छुपकर भी कभी खुशी-आवेश में धीमे- से, दुःख मन से भी, हौले से शरमाकर भी, पढ़ी तो पढ़वाई भी,  जाती थी कभी। ऐं चिट्ठियां, तू कितने नगर-ग्राम […]

संसद की गरिमा आज इतनी लाचार है उसके ही नुमांइदे करते आज उसका बलात्कार है। गूंजती थी कभी जहां,  पुरोधाओं की गंभीर -वाणियां. आज है वहां केवल,  कर्ण- कटु-भद्दी गालियां। खेल-घर है , खेलते सब,  जाति- धर्म के कार्ड से. गरीब- दलित-आरक्षण की,  होती बहुत कबड्डियां। सर्वोच्च -पद भी अब, […]

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कोमल -चंचल बाला जब  फौलाद हो जाती हैं , सहमी -सकुचाई आंखों में,  ‘निश्चय’ उभर जाता है। ‘अबला’  कहने वालों को  वह ‘देवी’ लगने लगती है भारत -माता का आंचल जब  तमगों से वह भर  देती  हैं। अजेय हिमालय का शीश, ‘हिमा’मय   हो  जाता  है, हर्ष -विह्वल अधरो पर उसके […]

ईख की शक्ल में तब्दील हो गया है आदमी और जब जीवन की मिठास भरने लगती है उसीकी शक्ल का कोई ईख बनकर आदमी चूस लेता है उसे फिर, फेकें हुए सीठी को खा जाता है पालतू की तरह कोई डेढ़-पिंजरा गुलाम। सच आदमी कहीं मर गया है आदमियत को […]

  थके- हारे से हैं ये दिन, बड़े हताशे से हैं ये दिन.  भोर की स्फू्र्ति भी, उनींदी-सी है,  निढाल -रातें भी, सो नहीं पातीं है. बुझी आंखें सपनों से नहीं सजते, खुली आंखों की दिनचर्याएं बोझिल- सी. जाने कहां गए, वो भोर का मुलायम- रेशम -चेहरा, ओस से भीगीं […]

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प्यासी मेरी धरती रानी। प्यासे पेड़, पौधे हैं प्यासे ताल तलैया, नदियां प्यासी छोटे छोटे बच्चे प्यासें दादा प्यासे, नानी प्यासी सारी धरती प्यासी- प्यासी। अरे देखो वो काले बादल नन्हें नन्हें काले बादल छोटू हाथी जैसे बादल जल से भरे सूंड़ हिलाते आसमां में घुमड़ रहे हैं आपस में […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।