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उसने जब अपना बैग उतारा तो उसकी हलचल देख मुझे महसूस हो गया था कि वह बस से उतरने वाली है! उसने घर पर कॉल किया कि हम आ गए लेने आ जाओ!  दिल उदास हो गया और निगाहें उस पर ही टिक गई थी , जाते जाते उसने इशारे […]

तू सपने दिखाती  थी कहानी सुना-सुनाकर कहाँ चली गई हो अब मुझे इस तरह भुलाकर। पर लगता है मुझे ऐसा तुम सपनो में आती हो ममता को बिखेर कर प्रेम संगीत सुनाती हो। तपी धूप की जिंदगी में तुम छाँव कर जाती हो नफरत की हर जगह में प्रेम ठाँव […]

आओ न पास बैठो, दिल के तार छू  लो। कुछ बात हो दिल से दिल की सुंदर विचार ले लो।। कुछ प्रीत झलक जाए कही बात याद आये। मन भर साथ रह ले। कुछ पल साथ बिताएं। आओ न पास बैठो, दिल के तार छू  लो। कुछ बात हो दिल […]

  शाला हमको लगती प्यारी। हम हैं पौधे, वो है क्यारी॥ खेल-खेल में सीखें अब। डंडे नहीं लगते अब॥ करके सीखें,बारी-बारी। शाला हमको लगती प्यारी॥ हमें गुरूजी करें दुलार। माँ जैसा उनका है प्यार॥ नहीं किताबें हम पर भारी। शाला हमको लगती प्यारी॥ शाला रोज जाते हम। ज्ञान का दीप […]

पूर्व से निकला है सूरज,अँधियारा भी भाग गया। हम को भी अब जगना होगा,सारा जग तो जाग गया॥ –––––––––– –– नहीं थके हैं, नहीं उठें हैं,राहे क्यों अनजान, मंजिल हमें पुकार रही है,बैठे क्यों नादान हैं। आगे अपने कदम बढ़ाओ,डर था जो भी भाग गया॥ ––––-–––––––- फैली कुरीतियां हममें,फैले अन्धविश्वास […]

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मुरारी का सौदा नहीं बैठ रहा था। उसने कहा-‘पटवारी साहब ! मैं १२००० रूपए दिलवा सकता हूं,जिसमें मेरा हिस्सा ४००० रूपए रहेगा।’ मगर,राजू पटवारी नहीं मान रहा था।वह नशे में झूमते हुए कह रहा था-‘रूपए तो २०००० लगेंगे। साहब को भी देना पड़ते हैं’। उसने अपना फरमान सुनाया था कि […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।