मुलाकात

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om prakash lavvanshi
उसने जब अपना बैग उतारा तो उसकी हलचल देख मुझे महसूस हो गया था कि वह बस से उतरने वाली है!
उसने घर पर कॉल किया कि हम आ गए लेने आ जाओ!
 दिल उदास हो गया और निगाहें उस पर ही टिक गई थी , जाते जाते उसने इशारे से ही बाय बोल दिया हल्की मुस्कान लिए हुए और मैं दिल थाम कर बैठा हुआ था !
वैसे तो हमारी दोस्ती को ज्यादा वक्त नहीं हुआ था , जब मैं कोटा से बस मे बैठकर गांव के लिए निकला
तो  अगले चौराहे से 2 लड़कीया  बस में चढ़ी !
मैं मेरी सीट पर अकेला ही था तो मैं सोच रहा था कि मेरे पास आकर बैठेगी पर हुआ नहीं ऐसा ! मेरे आगे वाली सीट पर भी जगह खाली थी तो वह दोनों उस पर बैठ गई!  बस ने धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ी कुछ देर बाद वह दोनों उठकर मेरे पास आ बैठी!  वह दोनों बहने थी मुझे बाद में पता चला,  छोटी वाली मेरे पास और छोटी वाली के पास बड़ी वाली बैठ गई! ईयर फोन लगाकर YouTube देख रही थी मैंने अपनी डायरी निकाली और पढ़ने लग गया!  कुछ देर बाद उनमें कानाफुसी हुई और बड़ी बहन और आगे वाली सीट पर जा बैठी!
 मैं यह सब नोटिस कर रहा था,  वह भी मुझे नोटिस कर रही थी ! मैं नजरें घुमा कर उसे देख लिया करता और वह भी मुझे!
 मैंने डायरी में लिखना शुरू किया तो वह देखने लग गई एक जगह बस रुकी
 तो उसने अपने बैग से एक रजिस्टर निकाला ! मैं उसी को देख रहा था उस पर उस का नाम लिखा हुआ था,  बस रुकने से गर्मी और बढ़ गई थी तो उसने रजिस्टर से पंखा करना शुरू किया !
हवा मुझको भी छु रही थी,  मुझे भी बहुत राहत मिली!
 मैं इस बार पानी की बोतल भुल गया था ! मुझे बहुत प्यास लग रही थी ! बाराँ में जब बस रुकी तो मैं उससे कहने की हिम्मत नहीं कर पाया कि मैं निकल जाऊं!  बस थोड़ी देर रुकने के बाद फिर से अपने मुकाम की ओर आगे बढ़ गयीं ! इतने में एक मित्र का कॉल आया तो  मै उससे बात करने लग गया !   बातों ही बातों में मैंने प्यास के बारे में भी उसको थोड़ा सा बता ही दिया ! जब मैं बात कर रहा था तो वह पूरी बातों को ध्यान से सुन रही थी!  उसने मेरी प्यास वाली बात नोटिस कर ली मैंने जैसे बात पूरी करके और मोबाइल जेब में रखा और अपनी डायरी उठाई! !
 उसने अपनी बड़ी बहन से बोतल मांगी और पानी पीया और मुझे बोतल थमाकर बोली पानी पी लो,  मैंने भी बिना देर कीये,  थैंक्स बोला और बोतल लेकर पानी पी लिया,  वापस बोतल देते हुए हमारी निगाहें  रूक गई फिर हल्की सी मुस्कान लिए,  हमारी बात शुरु हुई वह भी कोटा ही पड़ती थी बीएससी फर्स्ट ईयर में , किराये से कमरा लेकर रहती है!  मैंने भी मेरा थोड़ा सा परिचय दिया ! पता ही नहीं चला धीरे-धीरे उससे दूर होने का वक्त भी निकट आ गया था!  उसके लिए मेरी डायरी में सिर्फ दो पंक्तियां ही लिख पाया हूं ,
“अजनबी, सफर में अपने हो गए
रह गए मुकाम पर वो सपने हो गए”
 मैं उसको अपने मोबाइल नंबर देने की सोच रहा था की हिम्मत नहीं कर पाया!
 बस धीरे-धीरे रुक गई और उसने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ विदा ली और मैं टकटकी लगाकर उसे देखता ही रह गया ! बस इतनी सी थी हमारी पहली और अंतिम मुलाकात. . . . ! ! !
परिचय : 
नाम- ओम प्रकाश लववंशी
साहित्यिक उपनाम- ‘संगम’
वर्तमान पता-कोटा (राजस्थान )
राज्य- राजस्थान 
शहर- कोटा 
शिक्षा-  बी.एस. टी. सी. , REET 2015/2018, CTET, RSCIT, M. A. हिन्दी 
कार्यक्षेत्र- अध्ययन, लेखन, 
विधा -मुक्तक, कविता , कहानी , गजल 
प्रकाशन- चर्मण्यवती पत्रिका मे 3 रचना 
अन्य उपलब्धियाँ-
लेखन का उद्देश्य- 
एक मौलिक रचना 

Arpan Jain

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