प्रेम क्या है, मरज है      या है ये दवा जलता दीपक है ये या है चलती हवा प्रेम पाषाण है फिर ये    खुश्बू है क्यूं गर ये वाचाल है मौन में     क्यों झरा प्रेम मिल जाये तो ये है मारक दवा न मिले तो मरज है […]

शब्द समुच्चय मात्र नहीं है संकल्प है एक जो दुहराता है अपनी प्रतिबद्धता को जिसने की है कोशिश चीरने की निसीथ अंधकार को स्व अस्तित्व की लौ से.. वह तुम्हें सीमाओं में बांध रहा था रखा वरदहस्त उसने सतीत्व के रक्षार्थ किया अलंकृत विभिन्न उपमाओं से हाथ बढ़े और बढ़े […]

  हर किसी का कोई न कोई गम होता है. कोई रोकर बयां कर देता है. कोई मुस्कुरा कर दर्द को छुपा लेता है. कोई मोहब्बत में अपना हर हाल कह देता. कोई अपने दिल मे अपने जज्बातों को दफन कर लेता है. कोई किसी की यादों में अक्सर तन्हा […]

गांव की पगडंडियों पर चलकर खड़ंजे से होते हुए मुख्य मार्ग तक आते आते जो शहर को जाता है फिर मुड़ जाती हैं मेरी कविताएं गांव की ओर …… जहाँ मजदूर है किसान है भोर है बिहान है दुनिया है जहान है धान है पिसान है दाने-दाने की मोहताजी है […]

/////1///// क्या प्रकृति के ही उद्गार को मोड़ लें तुम कहो तो विरक्ति से मन जोड़ लें निर्वसन होके तुम यूँ ही फिरती रहो और हमसे कहो के नयन फोड़ लें /////2///// आचरण भीग कर पूरा          नम हो गया जिसको सुतली था समझा वो बम हो […]

वो मुझे चाह         रहे वर्षों से पता चला ये      मुझे परसों से रुला रहे हैं     जीत कर वो भी दिया था वोट     जिन्हें हर्षों से वायदा साफ था      हीरे मोती अब वो फुसला रहे हैं सरसों से थूक कर चाट लिया  […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।