वो भी ग़म को ही हवा  देते हैं।। हम ख़ुशी को ही भुला देते हैं।। मेरे वो राज़ से भी है वाकिफ़।। लोग  मिलके  ही  दग़ा देते हैं।। आरज़ू है दिलों को जोड़ने की।। हम भी ग़म को ही भुला देते हैं।। ज़ात  धर्मो  की सियासत में ही।। वो   हमें  […]

सफर के लिए हम निकलते रहेंगे दुआ माँ की लेकर यूँ चलते रहेंगे अन्जुमन में है चाहने वाले मेरे यहाँ सबसे मोहब्बत करते रहेंगे बदल कर कभी हर्फ़ तुमको पढेंगे नए ज़ाविये से हम लिखते रहेंगे तिज़ारत करे प्यार का सबसे हम भी ठेकेदार कब तक हम बनते रहेंगे बना […]

  मेरे दिल से अब वो सनम उतर गया जो तन्हा दिल छोड़ कर यूँ शहर गया मुहब्बत में सफर जारी रहा उम्र भर यूँ सारी राते अब तेरे बिन गुज़र गया जूठ,फरेब रहा सदा दिल में भरा उसके देख दिल तोड़ के मेरा किस सफर गया यूँ तो वो […]

हम मिले दर्द को छिपा कर के क्या मिला उनसे यूँ वफ़ा करके याद करते है वो भुला कर के फिर बुलाते है वो दुआ कर के पल दो पल की इस ज़िन्दगी में तुम जीत लो दिल यूँ मुस्कुरा कर के हाथ को हाथ में ले कर देखो कर […]

अनसुलझा हुआ सा हूँ थोड़ा सुलझा दो मुझे भी कंही खोया हुआ सा हूँ खुद से मिला दो मुझे भी .. नही मिला पाओगे मुझे मुझमे ही डूब जाओगे हां पता है मुझे…. वो साथ मेंरे यूँ चलना तेरा हाथो में हाथ मेरे रखना तेरा वो हँसी पे यूँ हँसना […]

बहुत उलझन में हूँ! रस्ते भटक रहे है अब! कंकड़ियां सवाल कर रही मुझसे जवाब किसी गुफ़ा में चले गए है नदी में समुद्र कूद रहा है मौन सा पौधे पेड़ो से करते है चतुराई बहुत उलझन में हूँ! रस्ते भटक रहे है अब! शोर ने ताला लगा दिया मौन […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।