अपने रिटायमेंट के बाद, मनोहर जब अपने पारिवारिक दायित्वों से मुक्ति पाया।तब अपने परिवार व समाज को लेकर उसके मन की कुछ सुंदर कल्पनाएं जो शुरू से ही उसके मन मे बसी थी।जिन्हें वो लाख कोशिशों के बाद भी यथार्थ में नही बदल पाया। तो बुढ़ापे में उसने केनवास पर […]