सतरंगी चुनर माँ तेरी अनेक्य में एका-सी आभा लहराई है। गर्वीले इतिहासी आभूषण ने माँ तेरी शान बढ़ाई है॥ अमृत-सी तेरी वाणी में असंख्य भाषाई त्रिवेणियां बल खाई हैं। माँ तेरे माथे की बिन्दियां ज्ञान सूर्य बन,जग चमकाई हैं॥ पग को धोता हिन्द है द्योतक यहाँ, वेद-योग की गहराई है। […]