क्या गलत करती हूँ मैं ?

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मै परीकथाएं लिखती हूँ,क्योंकि जीवन का १५ प्रतिशत यथार्थ,८५ फीसदी कल्पनाओं की परीकथा से ही संवरता है,और मुझे अपना यथार्थ भी परी कथाओं-सा स्वप्निल चाहिएl 

कहीं किसी ने मेरी रचनाओं को पढ़कर 
कहा-`खूब परी-कथाएं लिखिएl`
तब से सोचती हूँ हर रोज़..

`क्या गलत करती हूँ जो,
हर तरफ लगी साम्प्रदायिकता की आग पर,
मैं कुछ कोमल कल्पनाओं की
हल्की फुहार डाल,तपिश को
कम करने की कोशिश करती हूँ?

क्या ग़लत करती हूँ जो,
इस प्रतियोगिता के दौर में,

अपने साथी को ही पीछे छोड़ने की होड़ में..
मैं कुछ मधुर-मिलन की चांदनी रात्रि
की ज्योत्सना बिखरने की कोशिश करती हूँ?

क्या गलत करती हूँ,जो बिना बारिश
के फटती ज़मीन के दर्द को,सावनी
कजरी से पाटने की कोशिश करती हूँ?

क्या गलत करती हूँ,जो बारिश में ढह 

गई गरीब की झोपड़ी के अवशेषों को
स्वप्न महलों की नींव से गढ़ती हूँ?

क्या गलत करती हूँ जो धर्म के नाम पर,
इंसानियत को काटने वाले खंजर
के जख्मों को प्रेमगीत के मोर पंखों से
सहलाने की कोशिश करती हूँ ?

क्या गलत करती हूँ,जो नारी मन
को रौंदकर गुजरते क्रूर सामाजिक
अश्वारोहियों की दमघोंटू धूल से बचने
के लिए,नारी स्वाभिमान का
सांस लेता आसमान देखने की कोशिश
करती हूँ?

आप ही बताइए,हर तरफ फैली विद्रुपताओं,
कुप्रथाओं,जटिलताओं से कुछ पल के लिए 

राहत देती,अन्तर्मनी बातों की परी कथाएं
लिखने की कोशिश करती हूँ,तो मैं
क्या गलत करती हूँ????

                                                                                               #लिली मित्रा

परिचय : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर करने वाली श्रीमती लिली मित्रा हिन्दी भाषा के प्रति स्वाभाविक आकर्षण रखती हैं। इसी वजह से इन्हें ब्लॉगिंग करने की प्रेरणा मिली है। इनके अनुसार भावनाओं की अभिव्यक्ति साहित्य एवं नृत्य के माध्यम से करने का यह आरंभिक सिलसिला है। इनकी रुचि नृत्य,लेखन बेकिंग और साहित्य पाठन विधा में भी है। कुछ माह पहले ही लेखन शुरू करने वाली श्रीमती मित्रा गृहिणि होकर बस शौक से लिखती हैं ,न कि पेशेवर लेखक हैं। 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।