शाही पशु है बाघ हमारा, हैं इसके राजसी ठाठ। अपनी सुरक्षा की खातिर, ये जोह रहे हैं बाट। शिकारी है अव्वल दर्जे का, ना इसके टक्कर का कोई। खाद्य श्रृंखला के शीर्ष विराजे, ना इसका प्रतिद्वन्दी कोई। उजड़ रही है दुनियाँ इनकी, उजड़ रहे आवास। नित घट रही है संख्या […]
काव्यभाषा
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