मन भटकता है,तो भटकने दो, उन्मुक्त गगन में,पंछी-सा विचरने दो। न लगाओ पहरे,इस सिरफिरे दीवाने पर, जो चाहे,जैसा चाहे उसे करने दो। मस्त मौला है ये,कब किसी की सुनता है, हर वक्त हर लम्हा मौज में ही जीता है। फूलों-फूलों,डाली-डाली इसे भँवरे-सा भ्रमरने दो, जो चाहे,जैसा चाहे उसे करने दो। […]
dube
मैं हूँ प्राणी बिल्कुल सीधा-साधा, न झूठी क़समें,न झूठा वादा। मेहनतकश,आम आदमी-सा मैं, काम-से-काम,न धोखे का इरादा। हमेशा सीधेपन पर,मुझे गया ठगा, पर मालिकों से,किया न कभी दगा। जिंदगी गुज़ारी साधारण-सी, पेट मेरा भरा रहा सदा आधा। अब मुझे बनाया चुनावी हथियार, जैसे बनता है हर बार आदमी सीधा। भूख,धर्म,जातिवाद के […]