काँव-काँव,मची हर ओर, वाक़ई बहुत,बढ़ा है शोर..। अज़ान या आरती से नहीं, घण्टा शंख ध्वनि से नहीं.. पवित्र गुरुवाणी से नहीं, किसी की प्रार्थना से नहीं.. इसका कारण है कुछ और, वाक़ई बहुत,बढ़ा है शोर…। कलयुग के कल-कारखाने, कल-कल करते रहते हैं। चौड़ी सड़कों पर सब वाहन, चीं पों करते […]