2

वो ग़रज़परस्ती आदमी मुझे ऐसा छोड़ गया, जैसे कोई शराबी खाली बोतल छोड़ जाता है। जैसे मधुमक्खी रस खींच फूल को छोड़ जाती है, जैसे पत्तियां शज़र का साथ छोड़ जाती है। जैसे वीणा ने राग का साथ छोड़ दिया है, जैसे सुई ने धागे का साथ छोड़ दिया है। […]

2

ठोकर खाता हूं,अश्क भी बहाता हूँ, गिरता हूँ,उठता हूँ,पर शान से चलता हूँ। न भय खाता हूं,न ही थोड़ा रुकता हूँ, खुले आसमान के नीचे सीना तान के चलता हूँ। जब भी सोचता हूं, दुनिया से घबराता हूँ। मुश्किलें तो साज हैं, जिंदगी भर आएगी.. गिरते उठते भी मुझे, एक […]

2

भूलकर सारे गिले-शिकवे अपनों के, एक-दूसरे को हम रंग लगाएंगे। जिंदगी में भर दे खुशियाँ जो फिर से, इस बार होली ऐसी मनाएंगे। जो भी होगा रुठा मुझसे अभी तक, जाकर घर स्वयं उसके हम मनाएंगे। एकसाथ मिलेंगे हम सब फिर से, बचपन वाली वो होली फिर से मनाएंगे। बेरंग-सी […]

2

खोया हुआ अपना, बचपन ढूंढता हूँ.. पचपन की बातें, नहीं लगती सयानी। अभिमानों में अकड़ी, जकड़ी जिंदगानी.. बंधनों में बंधी, रेत होती कहानी। वो चाँदी की थाली, मिटटी के ढेले.. ईमली के चिएं, नीम की निम्बोली। कागज के रॉकेट, पर ऊँची उड़ानें.. पतंगों के जोते, हवाओं की चालें। बस्ते का […]

3

ज्योत से ज्योत मिले, सुन सखी.. आज मैं तुझसे ही सम्बोधन करती हूं, अपने मन के अंजुली भर भावों को तुझको ही अर्पण करती हूं। हर बार इन पुरूष पुंज को कहना जरुरी तो नहीं, हर भाव को ग़ज़ल या गीत में ढालकर इनको बताना अब रुचता नहीं। अपने संवेगों […]

दोस्तों, हमेशा दिलीप साहब के अभिनय की गहराई और ऊँचाईयों की जो परवाज़ रही है,उसको छूना हर भारतीय फिल्म कलाकार का आज भी सपना है,क्योंकि उनका आकलन आज भी बहुत कठिन है। फिर भी उन पर कुछ लिखने की गुस्ताखी कर रहा हूँ। 11 दिसम्बर 1922 को पेशावर में मुहम्मद […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।