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आज फिर दिल ने एक नगमा गाया है, मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है। उन पुराने पन्नों से धूल सारी उड़-सी गई, सूखी स्याही ने भी कुछ लिखना चाहा है। बुझे चिरागों से रोशनी-सी आई है, खिजा के फूलों ने फिज़ा महकाई है। दिल-ए-तन्हा आज फिर मुस्कुराया है, मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है। आज रंगे शमा खिला-खिला-सा है, अंदाजे शोर कुछ महफिल-सा है। प्यासे प्यालों ने जी भर के ज़ाम पाया है, मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है।                           […]

पर्वत की चोटी पर जाकर, नाकाम होकर लौट आना.. दर्द की दवा ही दर्द का, हर बार बन जाना। कोई क्या देगा तुमको ख़ुशी, जब मुकद्दर में हो.. हर वक्त ही लिखा, ग़मों का बोझ उठाना। ईमानदारी का वजूद खुद, अंधकार में हो जब.. क्या रोशन करेगा किसी का, राहों […]

क्या खूब विकास मेरा देश कर रहा है, गाँव का हर दूसरा बच्चा चप्पल को तरस रहा है, एच्आईवी/टीबी/कैंसर तक को धूल चटा दी हमने, अफ़सोस भूख से सिर्फ गरीब मर रहा है। काबिल युवाओं से भरा पड़ा देश मेरा, दुर्भाग्य कि,अंगूठा टेक के भरोसे सब, दलित का विकास,योग्य को […]

कितना अच्छा होता बचपन, प्यारी रंग-रंगोली, सबके मन को भाती, उनकी हँसी ठिठोली | चंदन कहें बचपन को , या कहें अक्षत रोली, कितनी प्यारी लगती , तुतलाती मीठी बोली | कितना सहज होता , बच्चों का हँसना रोना , सबसे अच्छा लगता उनको, अपना खेल-खिलौना | मर्जी अपनी नहीं […]

स्त्री हिचकियाँ की सखी, साथ फेरों का संकल्प, दुःख-सुख की साथी, एकाकीपन खटकता | परछाई नापता सूरज, पहचान वाली आवाजों में, खोजता मुझे दी जाने वाली, तुम्हारी जानी-पहचानी पुकार | आँगन -मोहल्ले में सूनापन, विलाप के स्वर, तस्वीरों में कैद छवि, सदा बहते अश्रु, तेज हो जाते, तुम्हारी पुण्य तिथियों […]

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यूँ तो कोई काम नहीं था, फिर भी तो आराम नहीं था। तन की ही कीमत ज़्यादा थी, मन का कोई दाम नहीं था। उसने जितना नाम कमाया, जितना उसका नाम नहीं था। अपने घर से अच्छा जग में, कोई और मुक़ाम नहीं था। सोच-इरादे लाखों सारे , बस उनका […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।