हम बच्चे हैं नन्हें मुन्ने, जुल्म हम पर ढाओ ना। इस छोटी सी नन्ही उमर में, इतने काम बताओ ना।। अभी अभी तो चलना सीखा, मन्जिल अभी दिखाओ ना। अभी अभी तो बोलना सीखा, हमको ज्ञान रटाओ ना।। हम बच्चे हैं …………… सब संग हमारे खेलो कूदो, और घोड़ा बन […]

भूल गए हम क ख ग घ, भूल गए हम गिनती। मैडम जी आकर याद दिलाओ, आज करें हम विनती। गुम हो गईं कॉपी किताबें, गुम हो गया बस्ता। घर से स्कूल जाने का, भूल गए हम रस्ता। मैडम जी हमें बुलाने आओ, आज करें हम विनती। भूल गए……… ड्रेस […]

हमें दूध दही घी खाना है, भारत को स्वस्थ बनाना है। दूध नहीं ये अमृत है, नित इसको हमें पी जाना है। पोषक तत्वों की खान है ये, हमें जन जन को समझाना है। ना करना कोई बहाना है, भारत को को स्वस्थ बनाना है। हमें दूध………….. चाहे खीर बनाओ […]

देख ऊँचाई एवरेस्ट की, अच्छे अच्छे थर्राते हैं। है जुनून जिसके अन्दर, एवरेस्ट वही चढ़ पाते हैं। श्वेत वर्फ़ की चूनर ओढ़े, चोटियाँ हमें लुभाती हैं। आकर हमको गले लगाओ, ये हमको पास बुलातीं हैं। धीरे धीरे और होले होले, आ जाओ मेरे दीवानों। रखना सब्र बहुत दिल में, मत […]

एक बात समझ ना आवे, क्यों नशे की लत जावे? स्वास्थ्य की कर दे ऐसी तैसी, हमको बड़ा रुलावे। हंसते खेलते मानव को फिर, खून के आँसू रुलावे। कैंसर जैसी जानलेवा, बीमारी फैलावे। एक बात …………. मधुमेह का खतरा मण्डरावे, प्रजनन की क्षमता घटावे। श्वांस रोग को गले लगाकर, हृदयाघात […]

लॉकडाउन की नगरी में, रंगीन हुई मधुशाला है। समझ हमें ना आता कुछ , ये कैसा गड़बड़झाला है। स्कूल कॉलेज बन्द पड़े, दुकानों में लगा ताला है। आफत के इस मौसम में, फलफूल रही मधुशाला है। कर रहे शराबी बल्ले बल्ले, ठेकेदारों का बोलबाला है। खुशी देखकर इन दोनों की, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।