डयूटी के दौरान लोगों के प्रिय – अप्रिय सवालों से सामना तो अमूमन रोज ही होता है। लेकिन उस रोज आंदोलन पर बैठे हताश – निराश लोगों ने कुछ ऐसे अप्रिय सवाल उठाए , जिसे सुन कर मैं बिल्कुल निरूत्तर सा हो गया। जबकि आंदोलन व सवाल करने वाले न […]

पांच, दस, पंद्रह या इससे भी ज्यादा …। हर साल श्रावण मास की शुरूआत के साथ ही मेरे जेहन में यह सवाल सहजता से कौंधने लगता है। संख्या का सवाल श्रावण में  कंधे पर कांवड़ लेकर अब तक की गई मेरी तारकेश्वर की पैदल यात्रा को लेकर होती है। आज […]

क्या होता है जब हीन भावना से ग्रस्त और प्रतिकूल परिस्थितियों से पस्त कोई दीन – हीन ऐसा किशोर कॉलेज परिसर में दाखिल हो जाता है जिसने मेधावी होते हुए भी इस बात की उम्मीद छोड़ दी थी कि अपनी शिक्षा – दीक्षा को वह कभी कॉलेज के स्तर तक […]

महानगरों के मामले में गांव – कस्बों में रहने वाले लोगों के मन में कई तरह की सही – गलत धारणाएं हो सकती है। जिनमें एक धारणा यह भी है कि देर रात या मुंह अंधेरे महानगर से उपनगरों के बीच चलने वाली लोकल ट्रेनें अमूमन खाली ही दौड़ती होंगी। […]

कोलकाता की बसें लगभग अब भी वैसी ही हैं जैसी 90 के दशक के अंतिम दौर तक हुआ करती थी। फर्क सिर्फ इतना आया है कि पहले जगहों के नाम ले लेकर चिल्लाते रहने वाले कंडक्टरों के हाथों में टिकटों के जो बंडल होते थे, वे साधारणत: 20, 40 और […]

हे देश के नीति – नियंताओं  । जिम्मेदार पदों पर आसीन नेताओं व अफसरों … आप सचमुच महान हो। जनसेवा में आप रात – दिन व्यस्त रहते हैं। इतना ज्यादा कि आप शूगर , प्रेशर , थाइराइड आदि से परेशान रहते हैं। आप देश के खेवैया हो। राष्ट्र की यह […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।