कब कहाँ किसी की भी अर्जियाँ समझती हैं, बिजलियाँ गिराना बस बिजलियाँ समझती हैं। गर पकड़ में आई तो पंख नोचे जाएंगे, बाग़ की हकीकत सब तितलियाँ समझती हैं। पहले दाने डालेगा फिर हमें फँसाएगा, चाल यह मछेरे की मछलियाँ समझती हैं। फ़्लैट कल्चर आया है जब से अपने शहरों […]