दृग तुम्हारे नेह का दर्पण अगर तकने लगे, और उर में स्नेह की ज्वाला अगर जलने लगे। जब उमंगों की घटाएं मेघ बन छाने लगे, एकांत के वो मौन भी जब रास यूँ आने लगे॥ चाह जब होने लगे यूँ चँद्रमुख श्रृंगार की, रिक्त-सी लगने लगेगी जब ये गागर प्यार […]

  हे जननी हे जनक दुलारे, गुरुवर के पद पंकज प्यारे। वंदऊँ प्रभुपद बारम्बारा, व्योम धरा पुनि सब संसारा। क्षिति जल पावक गगन समीरा, पंचरतन मिल बना शरीरा। चल निश्चल सब एकहि जाना, उर स्पंदन स्वास समाना। भानु शशी अरु नखत सकारे, मन मंदिर के रतन हमारे। जल-जंगल सह पर्वत […]

‘कौन हूँ मैं’???,कितनी सहजता से हम इसे यत्र-तत्र चिंतन के विषय रूप में प्रस्तुत कर देते हैं। सत्य तो यह है कि, ये विषय है ही नहीं,अपितु ऐसा यक्ष प्रश्न है जिसका उत्तर तलाशते-तलाशते सदियाँ ही नहीं,अपितु न जाने कितने युग बीते हैं। कहते हैं कि जो इस प्रश्न का […]

विश्वासों पर दिल से दिल का, सीधा सच्चा प्यार टिका है, समता के ही दृष्टिकोण पर, रिश्तों का आधार टिका है। खुदगर्जी का सत्य यही मैं, अब तक जान सका हूँ जानम, निहित स्वार्थ में सच कहता हूँ,मौकों का बाजार टिका है। नेह निवेदन को भिक्षा का,समझा एक कटोरी तुमने, […]

जीत-हार की बात नहीं, संघर्ष अभी भी जारी है, तब भी सीता हारी थी,तो अब भी सीता हारी है। कैसे कह दूँ रावण हारा,बस उसके जल जाने से, बचे हुए हैं कितने रावण,कर्मों का फल पाने से। हे राम कहो- क्या सचमुच तुमने रावण को ही मारा था, या फिर […]

दृग तुम्हारे नेह का दर्पण अगर तकने लगे, और उर में स्नेह की ज्वाला अगर जलने लगे जब  उमंगों  की  घटाएं  मेघ  बन  छाने लगें, एकांत के वो मौन भी जब रास यूँ आने लगें चाह  जब  होने  लगे  यूँ चँद्रमुख  श्रृंगार की, रिक्त-सी लगने लगेगी जब ये गागर प्यार […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।