“आज विश्व गौरेया दिवस पर विशेष” चोंच में दाना, उठा उड़ी गोरैया.. चुगाती चूजे। कब आओगी, गौरैया मेरे द्वार.. दाना चुगने। पेड़ पर है, तिनकों का घोंसला.. गौरैया नहीं। नन्हीं गौरैया, फुदक-फुदक कर.. दाना चुगती। मुन्ने के सिर फुदक रहा चूजा.. प्रेम बंधन। अंजुरी भर, प्रेममयी गोरैया.. स्नेहिल स्पर्श।   […]

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आज सुबह-सवेरे शीतला सप्तमी पर रंजन जी बिना चाय पिए ही श्रीमती जी को लेकर मंदिर पहुँच चुके थे।गुजरी रात को ही स्पष्ट निर्देश मिल चुके थे कि,गैस मत जलाना। महिलाऐं बासोरे और पूजन सामग्री की थाली लिए कतार में थीं और उनके पतिदेव मोबाइल पर बतियाते हुए आसपास ही […]

अम्मा अब न चावल चुनती, न बड़ियों को धूप दिखाती। बर्गर-पिज्जा मांगे मुन्ना, मुनिया भी न खीले खाती। आंगन चिड़िया का छूट गया, क्यों भाग्य विधाता रुठ गया ? सूने सारे दालान पड़े, खाली सारे खलियान पड़े। खेतों से उठकर के बोरे, जब गोदामों की ओर बढ़े। दाना चिड़िया का […]

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उलझी बातों से जीवन सुलझाती… या सुलझी बातों में जीवन उलझाती… मैं सारी या आधी, मैं मझधार या किनारा.. मैं धार की पतवार, मैं मोह या माया..। मैं विरक्ति या आसक्ति, मैं वृष्टि या छाया.. मैं सत्य या भ्रम, मैं दिगभ्रमित मदमस्त हवा..। या सुरभित मधुमासी बयार, मै श्रद्धा या […]

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इन्दौर। व्यंग्य विधा के श्रेष्ठ कवि और इन्दौर निवासी समाजसेवी प्रीतमसिंह ‘ज़ख्मी’ का रविवार रात औरंगाबाद में  अकस्मात निधन हो गया है। एक उत्कृष्ट रचनाकार का यूँ  चले जाना शहर,प्रदेश और देश के हिन्दी कवियों, कवि सम्मेलनों और हिन्दी कविता के लिए अपूरणीय क्षति है। ‘मातृभाषा’. कॉम परिवार ईश्वर से […]

जो मेरा था किसी का हो गया है, मेरा यह वहम सच्चा हो गया है। उछल कर आसमां छूने की ज़िद में, वो अपने क़द से ऊंचा हो गया है। बहारें लेके यूं आया है सावन मिरे, आंगन में रस्ता हो गया है। अज़ानों की सदाएं कह रहीं हैं, अब […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।