फूंऊं.ऽ… ऽ… ऽ… ऽ… ऽ… ऽ… ऽ…यह शंख की आवाज़ थी-न सिर्फ मंदिर से डूंगा के कान तक,बल्कि गांव के कोने-कुचाले तक पसरी और लंबी। गंधहीन और अदृश्य। ध्वनि भी क्या! बस,शंख के पिछवाडे़ में फूंकी एक लंबी फूंक,जो शंख के मुंह से ऊंचा स्वर लिए,तेजी से बाहर निकली […]
आँखों में इंतज़ार छुपाए बैठे हैं, दीदार की ख्वाहिश छुपाए बैठे हैं..। यादों के लम्हें संजोकर, इश्क-ए-इज़हार छुपाए बैठे हैं..। जिक्र में फिक्र शामिल, दिल-ए-बेकरार छुपाए बैठे हैं..। खामोशी के लबों से अपने, वफा-ए-इकरार छुपाए बैठे हैं..। इश्क की राहों से गुज़र, बेवजह तकरार छुपाए बैठे हैं..। नसीबों का खेल […]
शिव बोलेः ‘हे पद्ममुखी! मैं कहता नाम एक सौ आठ। दुर्गा देवी हों प्रसन्न नित सुनकर जिनका सुमधुर पाठ।१। ओम सती साध्वी भवप्रीता भवमोचनी भवानी धन्य। आर्या दुर्गा विजया आद्या शूलवती तीनाक्ष अनन्य।२। पिनाकिनी चित्रा चंद्रघंटा, महातपा शुभरूपा आप्त। अहं बुद्धि मन चित्त चेतना,चिता चिन्मया दर्शन प्राप्त।३। […]
