फूंऊं.ऽ… ऽ… ऽ… ऽ… ऽ… ऽ… ऽ…यह शंख की  आवाज़ थी-न सिर्फ मंदिर से डूंगा के कान तक,बल्कि गांव के कोने-कुचाले तक पसरी और लंबी। गंधहीन और अदृश्य। ध्वनि भी क्या! बस,शंख के पिछवाडे़ में फूंकी एक लंबी फूंक,जो शंख के मुंह से ऊंचा स्वर लिए,तेजी से बाहर निकली […]

जल हमें प्रकृति से विरासत में मिला एक अमूल्य संसाधन है। यह पृथ्वी पर पाए जाने वाले समस्त प्राणियों तथा पादपों के जीवन का मुख्य आधार है,इसीलिए जल को जीवन कहा गया है। जहॉं जीवन है वहॉं जल तथा वायु की आवश्यकता को कदापि नकारा नहीं जा सकता है। पेड़-पौधे,जीव-जन्तु […]

आँखों में इंतज़ार छुपाए बैठे हैं, दीदार की ख्वाहिश छुपाए बैठे हैं..। यादों के लम्हें संजोकर, इश्क-ए-इज़हार छुपाए बैठे हैं..। जिक्र में फिक्र शामिल, दिल-ए-बेकरार छुपाए बैठे हैं..। खामोशी के लबों से अपने, वफा-ए-इकरार छुपाए बैठे हैं..। इश्क की राहों से गुज़र, बेवजह तकरार छुपाए बैठे हैं..। नसीबों का खेल […]

जब भी रहूँ दुख में तब, मैं इसको गले लगाता हूँ.. खुश होता हूँ जब भी मैं, इसे होंठों से लगाता हूँ। यही प्रतिपल है मेरे आलिंगन की अधिकारी, मेरी कलम ही है असल में,मेरी प्रेमिका प्यारी। शब्द अनेक हैं अंदर मेरे, मोतियों से बिखरे पड़े.. माला बनाकर,मेरी कलम उन्हें […]

शिव बोलेः ‘हे पद्ममुखी! मैं कहता नाम एक सौ आठ। दुर्गा देवी हों प्रसन्न नित सुनकर जिनका सुमधुर पाठ।१।     ओम सती साध्वी भवप्रीता भवमोचनी भवानी धन्य।  आर्या दुर्गा विजया आद्या शूलवती तीनाक्ष अनन्य।२।   पिनाकिनी चित्रा चंद्रघंटा, महातपा शुभरूपा आप्त। अहं बुद्धि मन चित्त चेतना,चिता चिन्मया दर्शन प्राप्त।३। […]

माँ को दुःख देकर पागल बन्दे तू क्या सुख पाएगा, माँ ने जितने दुःख सहे तू क्या उतने दुःख सह पाएगा। क्यूँ भूल गया माँ को,अंगुली पकड़ चलना सिखाया, गीले में खुद सोई और सूखे में तुझे सुलाया, वो बचपन न फिर कभी दुबारा आएगा, माँ को दुःख देकर पागल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।