प्रभात का प्रकाश विस्मित करता हर रोज, नई ऊर्जा का संचार खुल रहे हैं फिर उस देहरी के द्वार। जाना है हर रोज नियमित नई दिनचर्या से रोज सुनहरे पलों को भूलकर करना है अब कार्य हर रोज। बहुत बीते दिन अपनों के संग, अब जाना है उसी देहरी की […]
प्यारे पापा,न्यारे पापा, तुम शिक्षक अनमोल हमारे। नन्हें-नन्हें कदमों को तुम चलना सिखलाते हो, सूनी-सूनी आँखों में तुम नए ख्वाब जगाते हो, प्यारे पापा,न्यारे पापा, तुम शिक्षक अनमोल हमारे॥ गिरकर उठना,उठकर चलना.. तुम सिखलाते हो, खेल-खेल में पापा मेरे , कैसे पाठ पढ़ाते हो? प्यारे पापा,न्यारे पापा, तुम शिक्षक अनमोल […]