हर पल मैं हर लम्हा तुमको ही जीता हूँ, जीने में मरने में,तुमको ही खोता हूँ। बिन तेरे तन्हा-सा ,एकांकी फिरता हूँ, सब कुछ खोकर साथी, बेफिकरा लगता हूँ। मृग की में तिष्ण-सा,हर तरफा भगता हूँ, जीने और मरने में बस आहें भरता हूँ। हर पल मैं,हर लम्हा तुमको ही […]
कमोबेश यह स्थिति भारत की सभी भाषाओं की है। यदि हम अपनी भाषाएं ही न बचा पाए तो,भारतीय धर्म- संस्कृति,ज्ञान-विज्ञान,बौद्धिक-संपदा व आध्यात्म ही नहीं,भारतीयता को बचाना भी असंभव है। जब हम भारत की भाषाओं और भारतीयता से दूर होंगे तो,आने वाली पीढ़ियों में भारत के प्रति प्रेम यानी राष्ट्रप्रेम कैसे बचेगा? […]