छोड़कर राहों में मुझको,जो गए तुम इस तरह… एक पल कटती नहीं ये,ज़िन्दगी की बात है। होंठ है खामोश मेरे ये कदम रुकते नहीं… तू नहीं,तेरे बिना ये मुफलिसी हालात है। राग है रंगीनियाँ,साज भी सरताज़ तुम… दिन भी है खामोश और खामोश-सी ये रात है। रोककर अपने कदम जो […]

वो कहते हैं कि औरत कभी हो नहीं सकती बच्ची, अरे वो तो महज एक जमीन है कच्ची। जिस पे जो चाहे,जब चाहे जोते हल,और चुक जाए तो दे दे अन्य किसी मेहनतकश को लीज पर, या उगाता जाए फसल पर फसल वो साठ की उम्र में भी पुरुष, तू […]

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मोहब्ब्त तुमसे है शिकायत तुमसे है, लासानी-सी ज़िंदगानी तुमसे है। मेरे रब की इबादत तुमसे है, मेरे घर की बरक़त तुमसे हैl मेरी ज़िंदगी की उपमा तुमसे है, मेरी ज़िंदगी का अलंकार तुमसे हैl मेरी हिन्दी का छंद तुमसे है, मेरी उर्दू का नुक्ता तुमसे हैl तेरी मोहब्बत मेरे लम्हों […]

आज चल गया पता ये मुझको जनसंख्या वृद्धि बेकारी है, देश की फूहड़ आधी `जनता` ढोंगियों के चक्कर में नाकारी हैl `भीड़` बनी है मूरख जनता अंधकार की नगरी में, मूढ़ दोचकर `खलबट्टों` में व्यर्थालाप की घघरी मेंl रामपाल हो,हो आसाराम या राम रहीम के गुर्गे हों, या कह लो ये […]

मैंने एक शख्स देखा बड़ा ही भोला–भाला, वही आंख वही नाक वही नयन नक्श, मैंने वही देखा जो दिखाई दिया एक नेक इन्सान देखा।   अंदर झांककर देखा वो बड़ा ही भद्दा–सा शैतान था, जो हर किसी को धोखेबाज–फरेबी कहता था सिवाय अपने; मैंने अपने में वो शैतान देखा स्वार्थ देखा।   हैं हम महापापी चेहरे पे मुखौटा लगाकर रहते हैं, दूसरों को प्रवचन देते ढोंगीराम देखा ll                                                             […]

  आधी रात सन्नाटों की नीरवता में, व्याकुलता जब बढ़ने लगी दिल में फिर खलबली-सी, मचने लगी दिल की किताब के चंद पन्ने, पलट गए लम्हों की ओर चंद किस्से बचपन के हंस पड़े किलकारी मार। माँ के आँचल बाप की ऊँगली, दादी-नानी  की कहानी चाचा की पीठ बुआ ढीठ, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।