जिंदगी कड़वी सही,शक्कर मिलाना आ गया, ज़ख़्म पर अब तो हमें मरहम लगाना आ गया। अब छले जाते नहीं हैं आदमी की ज़ात से, के नज़र को भी नज़र से आजमाना आ गया। इन अंधेरों मे गुजर जाती हमारी उम्र ही, देखकर दम जुगनुओं का झिलमिलाना आ गया। ले गया […]

चूड़ी खनकाती, पायल छनकाती महकती-चहकती, तुम आ ही जाओ। प्रिये मेरे जीवन में। मेरी आंखें घर के, दरवाजे पर टिकी हैं तुम्हारे स्वागत के लिए, एक ही जगह रूकी हैं इन्हें इंतजार तुम्हारा है, ना इन्हें और तड़पाओ प्रिये तुम आ ही जाओ। सूनी चौखट, सूना घर, पूरा खाली है […]

पूर्वज हैं हमारी जिंदगी का व्याकरण, जिन्होंने किया सबकुछ हमें समर्पण। इनके सदगुणों का  करें अनुसरण, पितृगण हैं हमारे संस्कारों का दर्पण॥ विश्व व्याप्त वसुदेव-प्रेम का कर समर्थन, गाय,ब्राह्मण,श्वान,काग,को करें भोज अर्पण। क्योंकि श्राद्ध पक्ष में करते पितृ धरा पर भ्रमण, धूप ध्यान से होता पितृदोष-ऋण का निवारण॥ सर्वपितृ अमावस्या […]

जीवन-साथी शब्द का अर्थ, सिर्फ साथ चलने या, सिर्फ एक-दूसरे से प्रेम तक सीमित नहीं है। इसमें तो मैं और तुम का अर्पण यानि, मैं, तुम हो जाऊँ तुम, मैं हो जाओ। इन हवाओं में भी है दुआओं की सौगात, आ बैठें और कर लें दिल की हरेक बात। वादा […]

कुचल दो कुयाशा की शाखाएँ, कुहक ले चल पड़ो कृष्ण चाहे; कृपा पा जाओगे राह आए, कुटिल भागेंगे भक्ति रस पाए। भयंकर रूप जो रहे छाए, भाग वे जाएँगे वक़्त आए; छटेंगे बादलों की भाँति गगन, आँधियाँ ज्यों ही विश्व प्रभु लाएँ। देख लो क्या रहा था उनके मन, जान […]

जूझा,लड़ा,चीखा-पुकारा था माँ, यूँ ही नहीं मौत से हारा था माँ। किस कसूर की मिली सजा मुझको, समझ न तब कुछ आया था माँ॥ रोया मैं, तो डांट रहा था, बकरी-सा वो मुझे काट रहा था। इस दानव से कोई छुड़ा लो मुझको, पापा-मम्मी बचा लो मुझको॥ तन थर्र-थर्र मेरा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।