.        सहज कार्य, प्रीत सजल है, नर्मद सम् पावन दृगजल हैं। प्रेम  प्रीत  का पावन झरना, नेह स्नेह अभिलाष सरल है, करबद्ध जन्मदिन कहना है। अपनी प्रिय पावन बहना है। जीवन सुरभित चंदन जैसा, मैना  कोयल  जैसा स्वर है। वर्ण सुवर्ण,भाव  भी  उत्तम, मीन से अक्षि सौम्य सुघर है। […]

.              *1*  मौसम सर्दी का हुआ, ठिठुरन  लागे पैर। बूढ़े  और  गरीब  से, रखती   सर्दी  बैर। रखती  सर्दी  बैर, दोउ  को खूब सताती। जो होते कमजोर,उन्हे ये आँख दिखाती। कहे  लाल कविराय ,होय ये ऋतु  बेदर्दी। चाहे वृद्ध गरीब, आय  क्यों मौसम सर्दी। .              *2*  गजक पकौड़े रेवड़ी,मूँगफलीअरु चाय। ऊनी कपड़े पास […]

कलम चले सतत समय सी, लिखती नई  इबारत  सारी। इतिहासों  को कब  भूलें है, लिखना देव इबादत  जारी। …….✍✍ घड़ी  सूई व चलित लेखनी, पहिये कालचक्र अविनाशी। चलते लिखते घूम घूम कर, वर्तमान- भावि – इतिहासी। ……✍✍ मिटते नहीं  कलम के लेखे, जैसे  विधना लेख अटल है। हम तो बस […]

आओ दोहा सीखलें,शारद माँ चितलाय। सीख छंद दोहा रचें,श्रेष्ठ सृजन हो जाय।। ग्यारह तेरह मात्रिका, दो चरणों में आय। चार चरण का छंद है,दोहा सुघड़ कहाय।। प्रथम तीसरे चरण में,तेरह मात्रा आय। दूजे चौथे  में गिनो, ये ग्यारह रह जाय।। चौबिस मात्रिक छंद है,कुलअड़तालिस होय। सुन्दर दोहे जो लिखे, सत […]

मात शारदा सुमिर के, सुमिरो  देव गणेश। कविता दोहा सीखिए,सुन्दर सुमिर महेश।। .           दोहा छंदो मे लिखो ,कविजन अपनी बात। तेरह ग्यारह मातरा, अड़तालिस  हो जात।। .           प्रथम  तीसरे   चरण  में, तेरह  मात्रा  पूर। गुरु लघु गुरु चरणांत हो,भाव भरे भरपूर।। .           विषम चरण के अंत में,लघुलघुलघु भी होय। लय […]

चौथ  व्रती  बन  पूजती, चंदा  चौथ  चकोर। आज सुहागिन सब करें,यह उपवास कठोर। यह   उपवास  कठोर , पूजती   चंदा  प्यारा। पिया  जिए  सौ साल, अमर संयोग  हमारा। कहे लाल कविराय, वारती  जती  सती बन। अमर रहे  तू चाँद, पूजती   चौथ  व्रती  बन। .             नारि सुहागिन कर रही,पूजा जप तप ध्यान। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।