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सहज कार्य, प्रीत सजल है,
नर्मद सम् पावन दृगजल हैं।
प्रेम प्रीत का पावन झरना,
नेह स्नेह अभिलाष सरल है,
करबद्ध जन्मदिन कहना है।
अपनी प्रिय पावन बहना है।
जीवन सुरभित चंदन जैसा,
मैना कोयल जैसा स्वर है।
वर्ण सुवर्ण,भाव भी उत्तम,
मीन से अक्षि सौम्य सुघर है।
साहित्य जगत का गहना है।
अपनी प्रिय पावन बहना है।
29 नवम्बर जन्म दिवस,
अभिलेखों सन् सत्य विवश।
लिखित सत्य बाकी है झूठा,
जन्मदिवस बस जन्मदिवस।
अभिलेखों से सब चलना है,
अपनी प्रिय पावन बहना है।
कवि हित के अनुबन्धों की,
उस मूरत का सम्मान करूं।
जीवन बने और सद प्रेरक,
जन्म दिवस पर मान करूं।
अजस्र स्नेह का झरना है,
अपनी प्रिय पावन बहना है।
पी के एस समूह का गौरव,
वेद *ऋचा* शुभ नाम करूँ।
कदम कदम खुश हाली हो,
जन्मदिवस शुभकाम करूं।
इनका सम्मान हमें करना है,
अपनी प्रिय पावन बहना है।
सबके हित में अपने हित है,
“सद्विचार” संवाहक भी है।
हिन्दीसाहित्,सृजन कर्मरत,
कवि जन से संवादक भी है।
हिन्दी शिक्षा बाना पहना है,
अपनी प्रिय पावन बहना है।
दीर्घ आयु की करूं कामना,
शुभ शुभ मैं अरदास लिखूं।
निज की पर की करें उन्नति,
जन्म दिवस पर मान लिखूं।
हरिचरणकमल शुभरचना है,
अपनी प्रिय पावन बहना है।
मुझपर इनकी प्रीत बहुत है,
मुझसे,बोलें किस से कम है।
मेरे को खुशियों की तिजोरी,
पर बोलो किसको ये कम है।
माँ गंगे सा सम रस बहना है,
अपनी प्रिय पावन बहना है।
मीरा की ऋचा पर छाँया है,
कुछ महा देवी की माया है।
सुभद्रा का वरद्हस्त मानो,
माँ,वीणापाणि की जाया है।
करबद्ध मेरा बस कहना है,
अपनी प्रिय पावन बहना है।
शबरी जैसी पावन भक्ति है,
पारशवी सी भोली प्रीति है।
अनुसुइया सी माने विद्वानी,
भली निभाई सुगम रीति है।
नित काव्यभक्तिरत रहना है,
अपनी प्रिय पावन बहना है।
जाने कैसे ये अवसर आए,
आपके दर्शन हम पा जाए।
नेह स्नेह बस रखना बहना,
ईश्वर ही शुभ संयोग बनाए।
जन्मी यह शुभ महिना है,
अपनी प्रिय पावन बहिना है।
जन्म
दिवस
मुबारक
हो
डाँ.ऋचे
जी
ऋचा बड़ा शुभ नाम है,हरियाणा शुभवास।
हिन्दी बिन्दी सम रखे ,साहित करे उजास।।
♀
करनाल शहर में बसती हो,
यूँ सत साहित में रमती हो।
प्रिय लगती पटल दुलारी सी,
हम सब के साथ विहँसती हो।
तुम दिल से भी जिज्ञासु हो,
हिन्दी हित कवि आशु हो।
बिटिया बहिना सबकी प्रिय,
तुम सच में ज्ञान पिपासु हो।
अपनत्व मुझे लगता इतना,
मालूम नहीं क्यों है कितना।
मेरी भी है इक ऐसी बेटी,
उससे नेह स्नेह है जितना।।
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और लिखूँ तो अति होती है।
समय चक्र की गति होती है,
कोई छोर नहीं है लिखने का
साहित्यिक प्रगति होती है।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः