ये है देखो वीरगाथा, मेरी प्यारी माँ की ही, त्याग और तपस्या की है, जीती जागती मूर्ति। सरलता, सहजता उनकी, एक नई सीख देती, सकारात्मक बातें उनकी, प्रेरणा का स्त्रोत बनतीं। माँ-पिता की थी इकलौती, अलबेली और अल्हड़–सी, कर्मठता और लगन शीलता, की थी वो प्रतिमूर्ति। रसूखदार पिता की बेटी, […]
काव्यभाषा
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