याद है क्या अभी भी तुमको, वो पहली मुलाकात, जब टकराये थे हम दोनों इत्तेफाक से उस रात, याद है क्या अभी भी तुमको,पहली दफा जब भीगें थे साथ-साथ, वह बिजली की चमक,तेेेज गड़गड़ाहट और मद्धम सी बरसात, याद है क्या अभी भी तुमको,जब पहली बार थामा था मेरा हाथ, […]

  *इस भारतभूमि के अंचल में समय-समय पर ऐसे नरपुंगव पैदा हुए हैं जिनके विचारों ने न केवल भारत अपितु संपूर्ण विश्व को प्रेरणा प्रदान की।12 जनवरी सन् 1863 ई. की पौष संक्रांति पर कलकत्ते के सिमुलिया पल्ली में माँ भुवनेश्वरी की कोख से ऐसे ही एक नवरत्न ने जन्म […]

सतरँगी पतंग सी खुशियां जीवन मे छा जाएं। प्रेम की डोरी बढ़ती बढ़ती आसमां की बुलन्दी पाए। दमके सूर्य मकर रेखा में दिन का समय बढ़ाये मीठी लड्डू गुड़ तिल सा जीवन मधुर बनाएं। गतिमान ये जीवन परिवर्तित हरपल रहता है, रुको नही पथिक आगे बढ़ो चढ़ता सूरज कहता है। […]

आज दिल बेचैन है और बड़ा बेकरार है, बहुत याद आ रहा वो गाँव वाला यार है, बार-बार नजर आज उसका चेहरा आ रहा है, जैसे मुझे वो भी चीख-चीख के बुला रहा है, है गुजारा उसके साथ मैने सारा बचपन, साथ मौज-मस्तियां,शैतानियां करते थे हम, सबसे अलग,सबसे जुदा बहुत शानदार […]

मुड़-मुड़कर वो आवाज लगाती आहिस्ता-आहिस्ता, फिर मुझे देख कर वो यूँ शर्माती आहिस्ता-आहिस्ता। सखियों से पूछा करती थी वो अक्सर मेरी कुशलक्षेम, बस अपने दिल का हाल छुपाती आहिस्ता-आहिस्ता। हल्की बारिश,मीठी सी छुअन,एहसास भुला न पाई वो, मुझ से मिलने की जुगत लगाती आहिस्ता-आहिस्ता । ईमान,वफ़ा,संग,क़स्मे,वादे,बीते पल सब हैं याद […]

मां की ममता त्याग औऱ तपस्या मां की मूरत ईश्वर का है नूर मां की ये लोरी सुरों की सरगम मां का आंचल चंदा जैसी शीतल गंगा सा है निर्मल। पिता का साया बरगद की छाया पिता का त्याग सन्तान का भविष्य पिता का दर्द जान सका न कोई पिता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।