तू मेरी सुबह बनके आ तू मेरी शाम बनके आ दूर आसमाँ में बैठे उस खुदा का पैग़ाम बनके आ मेरी तिश्नगी का कोई हासिल है भी या नहीं गर है तो तू मेरी कोशिशों का अंजाम बनके आ तुझे चाहा जब से कोई और काम नहीं मुझे जो ज़माने […]

 तुम जब चले गए तो फिर हमें आए याद बहुत जिस गुलशन को बसाया था,हुआ वो बर्बाद बहुत सब गलियाँ है सूनी,सब रास्ते हो गए उदास बहुत दिन है मेरा सोया सोया,और जागा है रात बहुत जहाँ तक देखा था वो भी कम कुछ नहीं था लेकिन कई अफसाने छिपे […]

मुझे मत दिखा अभी ये चाँद सितारे मैं किसी की निगाहों से अभी उबरा नहीं हूँ जब से तुम्हारी निगाहों का सूरमा है मेरी आँखों में तब से फिर खुद को मैने सँवारा  नहीं है मत कर मुझे इतिहास में यूँ तो दफ़्न अभी मैं पुराना लम्हा तो हूँ पर […]

बादशाहत तुम्हारी जितनी भी बड़ी हो आज,याद रखना वक़्त को हर एक तख्तो-ताज को गिराना आता है   यह हुकूमत सब यहीं धरी की धरी रह जाएँगी आँधियों को अकड़े हुए शज़रों को झुकाना आता है   दूसरों को कमतर समझने की  तुम्हारी भूल है ज़ानिब सर्द रातों को भी […]

तू मेरा कल नही, तू मेरा आज नहीं तेरे मेरे दरम्यान अब कोई राज़ नहीं तूने बुलाने में बहुत देर कर दी हमनशीं सफर से लौट आने का रिवाज नहीं तेरा नूर भले माहताब होगा ज़माने में बेपर्दा हुश्न पर हमें तो कोई नाज़ नहीं हुश्न की फिदरत है हर […]

वो जब से लौट आए से मेरे शहर में दिन में ईद,रात में दिवाली हो गई है उनके आने की खबर की ये तासीर है खेत-खलिहान,नदी,पर्वतों में खुशहाली हो गई है वो जो निकले हैं सँवर के मेरे छत पे तो अमावस भी तारों वाली हो गई है अपने होंठों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।