बूंद-बूंद जल का, महत्व जान लो.. जल जीवन है, पहचान लो..। होली में होगा, होलिका दहन.. पाप की जलेगी चिता, भड़केगी आग.. खुशियों के नाम पर, बहाया जाएगा जल..। धरा होगी एक दिन, सूखी अतृप्त.. करेंगें यही त्राहिमाम, कर रहे जो पाप.. स्वंय अपने ही हाथ..। कुछ पल ठहर कर, […]

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बसन्त का इत्र लगाए, रंग-बिरंगे फूलों की मुस्कुराहट की गठरी बाँधकर.. फागुन आ धमका, पीला सिन्दूर,लाल महावर,लाल-हरी चूड़ी, सुर्ख मेंहंदी,गुलाबी साड़ी,काली-काली आँखें,  और रंगीन सपने लेकरl इन्तजार कर रही है वो अपने जोगी के आने का, जो चला गया था उसे अलसाया हुआ छोड़कर.. भारत माँ की धानी चुनर को […]

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उलझनों के झुनझुने में अटकी, किसी चौराहे पर.. मेरे ही खिलाफ चौरंगी सी खड़ी, यह औढर जिंदगी। क्या पता किस ओर करवट ले जाए, किस ओर नहीं, या फिर बढ़ चले सन्नाटे को चीरती हुई मृग मरीचिका.. लिए हुए,बेमतलब के ख्वाब दिखाते हुए,बेपता है यह, देखा है कि,इसने जो भी […]

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आयो आयो रे फागुन त्योहार, झूम उठी ग्वालनियाँ-2। गौएं भी झूमे,गोपालन भी झूमे-2, अरे झूम गयो-2 नंद दरबार.. झूम उठी ग्वालनियाँ, आयो आयो रे…………….। काशी भी झूमे,मथुरा भी झूमे-2, अरे झूम गयो -2 वृंदावन नार.. झूम उठी ग्वालनियाँ, आयो आयो रे……………..। राधा भी झूमे,कन्हैया भी झूमे-2, अरे झूम गयो-2 सारो […]

बासंती मधुमास प्यार को, ऐसो नशा चढ़ायो री.. फूल-फूल पर कली-कली, इतरायो मंडरायो री। धरती से अंबर तक देखो, आया मौसम प्यार का.. हर कोई अपनी राधा संग, प्रेम ही पींग बढ़ायो री.. बांसती मधुमास प्यार………..। अंखियन में अंखियाँ डालकर, नाच रहे कन्हाई रे.. सुन बंसी धुन,जाग उठी, राधा मन […]

नारी में अक्ल बहुत है भारी, पुरूष न समझा उसकी लाचारी.. मान लिया सिर्फ एक खिलौना, चाहे जैसे खेल खेलना। क्यों नारी संग भेद करे, क्यों समझे छोटा उसको.. हृदय दोनों का एक समान, फिर क्यों नारी का अपमान। पुरूष नारी का भेद हटा दो, समझो केवल मानव सबको.. फिर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।