जन्म मरण कहे पीर, ममता में बहे नीर। माँ करुणा नस–नस में अविचल, चिर चितवन दान मिला पल। मंगल भाव भरे युग अंचल, चित उपवन लहराये निर्मल। माँ प्राण तृषित अधीर, ममता में बहे नीर।। सघन वेदना के पल–पल में, मतलब के प्रतिकूल छल में। तिमिर भरे अवगुंठन कल में, […]
काव्यभाषा
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