हम तो ईश्वर को मानते हैं, वही तो सब कुछ है.. हृदय में बसते हैं, दिल में रहते हैं.. दिल में ही बसते हैं, दिल की ही सुनते हैं.. दिल में ही कहते हैं, करना है उनको जो, एहसास कराते हैं। कोई मेरा बुरा करे, मुझको बताते हैं.. बुरा करने […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
बहुत-सी बातें कहती दिनभर, फिर भी अनकही सी रह जाती.. गृहस्थी की चिंगारियों को अपने आंचल से ढँककर छुपाती, खुद अस्त-व्यस्त होकर भी.. सबकी जिंदगी मे रंग भरती.. अंदर-ही-अंदर धधकती, मुंह पर झूठी मुस्कान बिखेरती.. ये सुप्त ज्वालामुखी-सी औरतें….। लीपे-पुते चेहरे से झाँकती, उदासी की लकीरें दबा नहीं पाती.. प्याले […]