है नहीं सिर्फ नदी ब्रह्मपुत्र, यह ब्रह्म का पुत्र है है इसलिए यह एक नद्य, यह है दर्शन समन्वय का। हुआ इसके तटों पर, कई संस्कृतियों व सभ्यताओं का मिलन। आर्य-अनार्य,मंगोल-तिब्बती, बर्मी-द्रविड़,मुगल-आहोम के मिलन और टकराहट का, गवाह है यह ब्रह्मपुत्र। है इसकी कई उपनदियाँ, सुवनश्री,तिस्ता,तोर्सा लोहित,बराक,धनश्री। है महाबाहु यह […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
दिल में कुछ,दबा-सा है, कुछ अटखेलियाँ,कुछ नादानियाँ.. गुज़री बातों की कुछ निशानियाँ, वक्त जैसे कुछ,रुका-सा है.. दिल में कुछ,दबा-सा है…। कुछ ख़्वाहिशें,कुछ आशाएँ, कुछ हैरानियाँ,कुछ परेशानियां.. कोई शूल जैसे,चुभा-सा है, दिल में कुछ,दबा-सा है…। कुछ सपने,कुछ उम्मीदें, कुछ अलसाई-सी वो नींदें.. मन में कुछ,छुपा-सा है, दिल में कुछ,दबा-सा है…। कुछ […]