0
0
Read Time40 Second
जज्बात ए इश्क़ बयां करूँ कैसे,
उनसे झुकी नज़रे मिलाऊं कैसे,
मन में प्यार का समंदर भर रहा है हिलोरें,
किश्ती को पार लगाऊं कैसे.
जल रही है इश्क की शमा चोरी चोरी,
फैला रही है सुनहरी रोशनी थोड़ी थोड़ी,
नूर ए शमा को छुपाऊं कैसे,
जज्बाते इश्क़ बयां करूँ कैसे.
फूलों पर चमक रही है शबनम की बूँदें,
बन अनजान अपनी आँखें मूंदे,
खूशबू ए गुल्फ्हाम को छुपाऊं कैसे,
जज्बाते इश्क़ बयां करूँ कैसे.
#प्रमोद कुमार
Post Views:
405