जीवन

1 0
Read Time1 Minute, 59 Second

himanshu gupta

मृत्यु ही जीवन है
जीवन महासंग्राम है
मृत्यु ही एक महाविश्राम है
जीना इसी का नाम है
जीवन ही संघर्ष है
संघर्ष ही संघर्षों का विक्रान्त है
मृत्यु का है विनाशी
मृत्यु जीवन का राजवंशी राजा समय है
समय दृष्टिगोचर,अदृश्य
दृश्यों सा शबाब है
शबाब ही ख्वाब है
संघर्ष सीखने सिखाने का नाम है
इन सा जीतने वाला
कालों का काल है
काल ही महाकाल है
मृत्यु ही जीवन है
जीवन एक महासंग्राम है
सफलताओ की कुन्जी संघर्ष
संघर्ष एक माया है
मृत्यु माया का विनाश है
मृत्यु ही जीवन है
जीवन एक महासंग्राम है

#गुप्त हिमांशु “प्रकृति से “

*परिचय *

नाम-    हिमांशु गुप्ता

साहित्यिक उपनाम- गुप्त हिमांशु “प्रकृति से”

वर्तमान पता- कानपुर (उत्तरप्रदेश)

शिक्षा-  स्नातक

कार्यक्षेत्र-  नौकरी

विधा – कविता; पद्य-गद्य—-  कविता,छंद(सभी),गज़ल,गीत,हाइकू,कहानियाँ, मुक्तक ,दोहे, व्यंग्य,नाटक  लघुकथा एवं संस्मरण एवं अन्य विधा।

सम्मान- कलम की यात्रा सम्मान प्रशस्ति पत्र सहित

अन्य उपलब्धियां- कलम की यात्रा में 
सदस्य- अधूरा मुक्तक,एवं संस्मय में सदस्य ।

लेखन का उद्देश्य- मन के अन्दर का भावनाओं को व्यक्त करते हुए लेखन  द्वारा आत्मसंतुष्टि आत्मसंतुष्टि प्राप्त करना।
लोगों तक अपने बात पहुँचाने के लिए अभिव्यक्ति करना

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

याद आएगी

Tue May 28 , 2019
चलेगी सांस जब तलक, वो मुझको याद आएगी,,, करे कोशिश वो कितना भी, ना मुझको भूल पाएगी,,, बिछङ कर आज तक उसकी, खबर कोई नहीं आई,,, मैं महफिल में भी तन्हा हुं, बजी बेशक है शहनाई,,, कभी मांगी दुआओं में, कभी सजदा किया मैंने,,, जो हासिल है नहीं मुझको, लबों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।