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(इंदौर में एक स्कूल बस हादसे पर)
दोस्तों,कोई भी बड़ा हादसा या दुर्घटना होने के बाद कवायदें शुरू होती है कि
जिम्मेदार कौन ? ? क्योंकि,इस घटना का ठीकरा किसी के सिर तो फोड़ना ही होता है।
अन्वेषण,जांच-पड़ताल.. इस तरह ताबड़तोड़ शुरु होती है कि,दिखावा किया जाता है कि हमसे ज्यादा कोई और संवेदनशील तथा जागरूक कोई नहीं है,या था ही नहीं।
दोस्तों,इन मासूम बच्चों की बेवक्त मौत शायद इस सुस्त व्यवस्था को जगा दे, पर मूल बात यह है कि हमारा शासन-प्रशासन इस कदर सुस्त है कि,वह चैन में पड़े कुत्ते की तरह केवल मेहमान की आमद पर भौंक तो लेता है लेकिन काटता किसी को नहीं है।
हमारा शासन-प्रशासन बला का सुस्त और निरीह मालूम पड़ता है,ये तभी जागता है जब बलि चढ़ चुकी होती है।
इस बार मासूम और बेगुनाह बच्चे इसका शिकार हो गए।
कुछ दिन पहले हमारे प्रदेश के मुखिया का बयान कि-हमारी सड़कें अमेरिका की सड़कों से बेहतर है,इस कौल की धज्जियां उड़ाते दिखता है। इस हादसे के बाद उन माँ-बाप के आंसू कौन पोंछ पाएगा,जिन्होंने घर के चिराग खो दिए।
क्या परिवहन कार्यालय जिसने फिटनेस पास किया,या वह विद्यालय प्रशासन जिसने बस की खराबी का आवेदन पाकर भी सुस्ती निकाली..या वह व्यवस्था जिसने शाला की बसों को बायपास पर मोड़ दिया ताकि शहरी यातायात सुगम बनाया जा सके।
साथियों,आज पूरा शहर शोकमग्न है,पर मेरी आत्मीय शृद्धाजंलि सभी बच्चों और उस मृत चालक के संग भी है,जिसे शासन कुछ ही दिन में मुआवजा बांटकर बरी हो जाएगा ? ? ?
सवाल ये है कि, क्या यही वाजिब हल होगा इन मासूमों की मौत का…! या हम तभी जागेंगे जब ऐसे और हादसे शहर में पसर जाएंगे ?
साथियों,जिम्मेदार कोई भी हो,एक बेगुनाह इंसान की मौत पूरी इंसानियत की मौत है,फिर यहां तो मासूम फरिश्ते गुज़र गए। क्या शासन-प्रशासन ऐसी ही सुस्ती में रहेगा।
अगर यह पता चल भी गया कि गुनाहगार कौन है इस हादसे का,तो क्या मासूम फरिश्ते लौट आएंगे…!
इंसानियत और आंसू वही होंगे,जहां वह अभी है,न मुआवजा न असली गुनाहगार- न सज़ा…कोई भी इस हादसे की भरपाई नहीं कर पाएगा शायद।
ज़रूरत है हमें मुस्तैद और चुस्त रहने की, क्योंकि यहां बेमुराद शासन-प्रशासन है।
कहीं कोई नीति-नियम बनाए जाएं,शाला के बच्चों के यातायात के लिए
एक समिति हो,जहां बस चालक की सीधे शिकायत दर्ज कराई जाए और
उनका निराकरण बिना साठगाँठ के हो।
उम्मीद है कि,मासूमों की बलि से शायद शासन-प्रशासन सुस्ती से जागे,और आइंदा ऐसे हादसे रुकें। यदि इस हादसे के बाद कोई सकारात्मक हल निकल जाए तो यही हमारी श्रद्धाजंलि होगी।
#इदरीस खत्री
परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| इनका परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।
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