चिड़िया रानी बड़ी सयानी,
अपने मन की हो तुम रानी।
छोटे-छोटे पैरों से तुम,
फुदक-फुदक कर चलती हो।
जाँच-परख कर अच्छे से,
फिर चोंच से दाना चुगती हो।
बड़ी गजब की फुर्तीली हो,
चंचल कोमल शर्मीली हो।
कभी घास पर-कभी डाल पर,
चीं-चीं करती फिरती हो।
खुले गगन में पंख पसारे,
करती रहती हो मनमानीl
चिड़िया रानी चिड़िया रानी,
अपने मन की हो तुम रानी।
#लिली मित्रा
परिचय : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर करने वाली श्रीमती लिली मित्रा हिन्दी भाषा के प्रति स्वाभाविक आकर्षण रखती हैं। इसी वजह से इन्हें ब्लॉगिंग करने की प्रेरणा मिली है। इनके अनुसार भावनाओं की अभिव्यक्ति साहित्य एवं नृत्य के माध्यम से करने का यह आरंभिक सिलसिला है। इनकी रुचि नृत्य,लेखन बेकिंग और साहित्य पाठन विधा में भी है। कुछ माह पहले ही लेखन शुरू करने वाली श्रीमती मित्रा गृहिणि होकर बस शौक से लिखती हैं ,न कि पेशेवर लेखक हैं।