सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पत्र

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आदरणीया सोनिया गांधी जी और राहुल गांधी जी,

जैसा कि आप जानते हैं पिछले कुछ सालों से देश बुरे दौर से गुज़र रहा हैl नोटबंदी और जीएसटी की वजह से काम-धंधे बंद हो गए हैंl  लगातार बढ़ती महंगाई से अवाम का जीना दुश्वार हो गया हैl ऐसी हालत में अवाम को कांग्रेस से बहुत उम्मीदें हैं,लेकिन ईवीएम की वजह से अवाम परेशान हैl उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के दौरान ऐसे मामले सामने आए हैं,जब मतदाताओं ने मत कांग्रेस को दिया है, लेकिन वह किसी अन्य दल के खाते में गया हैl इस मामले में कहा जा रहा है कि मशीन ख़राब हैl माना कि मशीन ख़राब है,तो फिर सभी मत किसी ’विशेष दल’ के खाते में ही क्यों जा रहे हैं? साल के शुरू में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसे मामले सामने आए थेl किसी विशेष दल के खाते में मत जाने के मसले को लेकर जहां दल का कार्यकर्ता परेशान है,वहीं मतदाता भी कशमकश में हैंl

 जैसा कि आप जानते हैं,लोकतंत्र यानी जनतंत्र,जनतंत्र इसलिए क्योंकि इसे जनता चुनती हैl लोकतंत्र में चुनाव का बहुत महत्व है  और निष्पक्ष मतदान लोकतंत्र की बुनियाद हैl यह बुनियाद जितनी मज़बूत होगी,लोकतंत्र भी उतना ही सशक्त और शक्तिशाली होगाl  अगर यह बुनियाद हिल जाए,तो लोकतंत्र की दीवारों को दरकने में देर नहीं लगेगीl

देश की आज़ादी के बाद निरंतर चुनाव सुधार किए गएl मसलन मतदाता की उम्र घटाकर कम की गई,जनमानस ख़ासकर युवाओं और महिलाओं को मतदान के लिए प्रोत्साहित किया गयाl इन सबसे बढ़कर मत-पत्र के इस्तेमाल की बजाय इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) द्वारा मतदान कराया जाने लगाl इससे जहां वक़्त की बचत हुई,मेहनत की बचत हुई,वहीं धन की भी बचत हुईl इतना ही नहीं,मतपेटियां लूटे जाने की घटनाओं से भी राहत मिली,लेकिन अफ़सोस की बात ये है कि ईवीएम की वजह से चुनाव में धांधली कम होने की बजाय और बढ़ ज़्यादा गईl पिछले काफ़ी वक़्त से चुनाव में ईवीएम से छेड़छाड़ के मामले लगातार सामने आ रहे हैंl  इस तरह की ख़बरें देखने-सुनने को मिल रही हैं कि,बटन किसी एक दल के पक्ष में दबाया जाता है और मत किसी दूसरे दल के खाते में चला जाता हैl इसके अलावा जितने लोगों ने मतदान किया है, मशीन उससे कई गुना ज़्यादा मत दिखा रही हैl

 जीत और हार,धूप और छांव की तरह हुआ करती हैंl वक़्त कभी एक जैसा नहीं रहताl देश पर हुकूमत करने वाली कांग्रेस बेशक आज केन्द्र की सत्ता में नहीं है,लेकिन इसके बावजूद वह देश की माटी में रची-बसी हैl देश का मिज़ाज हमेशा कांग्रेस के साथ रहा है और आगे भी रहेगाl जनता कांग्रेस के साथ खड़ी है,लेकिन उसे ईवीएम पर यक़ीन नहीं हैl उसे भरोसा नहीं कि उसका कांग्रेस को दिया मत कांग्रेस के पक्ष में जाएगा भी या नहीं,इसलिए आपसे अनुरोध है कि आप चुनाव आयोग से मांग करें कि,वह चुनाव ईवीएम की बजाय मत-पत्र के ज़रिए कराए,क्योंकि ईवीएम से अवाम का यक़ीन उठ चुका हैl

                                       आपकी शुभाकांक्षी 

                                       फ़िरदौस ख़ान

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।