कोरोना के चलते मेडिकल व पुलिस कर्मचारियों के मारपीट क्या निंदनीय नहीं है?

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बिल्कुल निंदनीय नहीं है।चूंकि राष्ट्र ने 'कोरोना' को महामारी माना है।जिसे 'युद्ध' के नाम से घोषित किया हुआ है।उक्त युद्ध के योद्धा मेडिकल व पुलिस सहित सफाई कर्मचारियों को माना गया है।जो अग्रिम पंक्ति में संघर्षशील हैं।
सर्वविधित है कि युद्धकाल में योद्धा अपने परिजनों,सगे-संबंधियों एवं अपने प्राणों का मोह त्याग कर राष्ट्र को समर्पित हो जाते हैं।जिसका एकमात्र लक्ष्य शत्रु पर विजय प्राप्त करना होता है।
उल्लेखनीय है कि ऊपरोक्त योद्धा अपने प्राणों की आहुति देते हुए निःसंदेह विजयपथ पर अग्रसर भी हो रहे हैं।
ऐसी भीष्म परिस्थियों में यदि देश का कोई भी नागरिक या समुदाय अपने सोचे-समझे षडयंत्र के अंतर्गत इन योद्धाओं पर प्राणघातक प्रहार करता है या कोरोना फैलाता है।तब सरकार का प्रथम कर्त्तव्य बनता है कि वह ऐसे षडयंत्रककर्त्ताओं को चिंहित करे और उन पर युद्ध के नियमानुसार दण्डात्मक कार्रवाई करे।
सर्वविधित है कि युद्ध नियमानुसार उक्त षडयंत्र 'राष्ट्रद्रोह' की श्रेणी में आते हैं।जिसका दण्ड निंदनीय नहीं बल्कि मात्र और मात्र 'प्राणदण्ड' होता है।

#इंदु भूषण बाली

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