स्त्री-पुरुष,एक दूसरे के पूरक,या प्रतिद्वंदी..

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devendr soni

स्त्री-पुरुष,एक दूसरे के पूरक हैं या प्रतिद्वंदी। यह एक ऐसा प्रश्न या गम्भीर विषय है-जिसका उत्तर हर एक की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। कहीं यह समानता के रूप में,कहीं पूरक तो कहीं प्रतिद्वंदी के रुप में देखने को मिलता है। यदि हम पीछे देखें तो पाते हैं सृष्टि में सबसे पहले आदम और हब्बा आए। कैसे आए, कहाँ से आए,यह अनुत्तरित ही है। खैर ! उस समय दोनों ने एक-दूसरे की आवश्यक्ता को समझा और सहयोगी बनकर संतति को आगे बढ़ाया। तब दोनों में एक-दूसरे के लिए पूरक का भाव ही था,जो आगे भी सामाजिक व्यवस्था के तहत सहजता और आपसी समन्वय से चलता रहा। कालांतर में समय के साथ विभिन्न कारणों के चलते समानता के विचार को बढ़ावा मिला, जिसे वैधानिक मान्यता भी मिली। मानवाधिकार के प्रति जागरुकता,शिक्षा,आर्थिक पहलू तथा अन्य समान भाव के चलते-दोनों के अंदर से एक -दूसरे के पूरक होने का भाव जाता रहा और बराबरी की शिक्षा तथा आर्थिक सक्षमता से अहम में परिणित भी हुआ। अपने अहम की तुष्टि और अन्यान्य के बहकावे से यह प्रतिद्वंदिता के रुप में भी सामने आया। शिक्षा और आर्थिक पक्ष को मजबूती देने के इरादे धीरे-धीरे खुली स्वच्छन्दता चाहने लगे,जिससे सामाजिक व्यवस्था चरमराने लगी और अनेक परिवार देखते ही देखते दरकने लगे। अभी भी समय है। कहते भी हैं न-‘जब जागो,तभी सबेरा’ मानकर चैतन्य हो जाएँ। यदि हमारी संस्कृति,समाज या घर परिवार को बचाना है,तो दोनों को सामंजस्य अपनाना ही होगा। समानता का भाव ह्रदय पूरकता को स्वीकारें। शादी से पहले दोनों ही अपनी शिक्षा तथा भविष्य बनाने में प्रतिद्वंदिता जरूर रखें,किन्तु शादी के बाद इसे परिवार में तो कदापि न आने दें। तभी सृष्टि नियंता की मंशा और हमारे जीवन की सार्थकता सम्भव हो पाएगी।

                                                                #देवेन्द्र सोनी

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।