‘ईमान’ की पहचान

0 0
Read Time3 Minute, 18 Second
naveen sah
रमेश बाबू ने खिड़की से पानी वाले से पानी लेकर पचास रूपए दिए व वापस तीस रूपए छुट्टे का इंतजार रहे थे कि, अचानक सिग्नल हो गया, ट्रेन चल दी। पानी वाला बाबूजी…. बाबूजी… चिल्लाता रहा,पर बाबू ये तो ट्रेन है सिग्नल के आगे शायद ही किसी की सुनती है। वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सका। ट्रेन की सबसे पीछे वाली बोगी में बना क्राॅस का चिन्ह उसे चिढ़ाते हुए पास कर गया। उदास होकर उसने अपना फोन निकाला और कुछ बातें की।
थोड़ी देर बाद उसी ट्रेन में भीड़ को चीरते हुए, मुँह टेढ़ा करके बोले जाने वाली एक आवाज सुनाई  दी-‘खाइए लिट्टी-चोखा, दस के छः, दस के छः, खाइए बिहारी खाना दस……।’
उसकी अजीब आवाज के कारण खचाखच भीड़ उसी की तरफ देख रही थी। तभी उस वेंडर ने लोगों से हाथ जोड़कर कहा- ‘बाबूजी, पिछले स्टेशन पर मेरे एक साथी वेंडर का आपमें से किसी यात्री के यहाँ बीस रूपया छूट गया है, कृपा करके दे दीजिए..गरीब आदमी है बेचारा’, उसने दोहराया। सारे लोगों ने अपने-अपने दूसरी तरफ फेर लिए, मानो उनके सामने कोई भिखारी आ गया हो। कुछ यात्रियों ने कह दिया-न ,न.. हम लोग ऐसे आदमी नहीं हैं, बीस रूपया से कोई राजा नहीं हो जाएगा। दूसरी बोगी में देखो।
अचानक रमेश बाबू  बुदबुदाए- ‘तुम्हारा बीस रूपया छूट गया, तो लेने आ गए ,और मेरा उसी स्टेशन पर तीस रूपया छूट गया तो कोई पूछने तक नहीं आया।’
वेंडर मोहन ने तीस रूपए उनके हाथ में देते हुए कहा- ‘बाबूजी ये पैसे आपके हैं। मेरे साथी ने मुझे फोन करके बताया था,अगर मैं सीधे-सीधे पूछता तो सही व्यक्ति का पता लगाना इस ईमानदारी के दौर में मेरे बस का नहीं था।’
 यात्रियों  की आँखें फटी रह गई, और फिर से वही आवाज गूंजने लगी… ‘खाइए लिट्टी-चोखा…बिहार का खाना….लिट्टी-चोखा।’
                                                                                #नवीन कुमार साह
परिचय : नवीन कुमार साह बिहार राज्य के समस्तीपुर स्थित ग्राम नरघोघी में रहते हैं। श्री साह की जन्मतिथि १६ अप्रैल १९९४ है। दरभंगा (बिहार) से २०१५ में स्नातक (प्रतिष्ठा) की उपाधि प्राप्त करने के साथ ही अभी बी.एड. जारी है। अध्यापन ही आपका पेशा है। वर्तमान सृजन (द्वितीय) विमोचनाधीन है। कई पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हुआ है। आप छंद, लघुकथा व छंदमुक्त कविताएं लिखते हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

गोकुल का ग्वाला

Wed Aug 16 , 2017
माई रे गोकुल का ग्वाला,  वो नटवर मधुर मुरलीवाला श्याम छवि  माथे मुकुट मोर पंख विराजत गले सोभे वैजन्ती माला, माई रे गोकुल का ग्वालाl  जब पहन पियर पिताम्बर घूम, गली-गली मनभावन खेल दिखाता जड़ चेतन आनन्दित कर दुष्टों को भी हर्षाता, गोकुल का ग्वाला l  बाल सखा संग जब […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।