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आरुषि और अारव दोनों ही अपने बच्चों के साथ खुशहाल जिन्दगी जी रहे थे।
अचानक से आरव का तबादला उसके पैतृक गाँव में ही हो गया,जहाँ आरव के बूढ़े माँ-बाप रहते हैं।
पहले तो इस खबर ने आरुषि के मन को कचोटा,क्योंकि वो उसकी बेटी सिनी और बेटे सार्थक को आधुनिक तौर-तरीकों से दूर गाँव के माहौल और बुजुर्गों के पुराने संस्कारों वाले माहौल में नहीं रखना चाहती थी। शायद इसी कारण से बच्चे बेहद असंवेदनशील और गैर जिम्मेदार होते जा रहे थे।
फिर भी मन मारकर आरव के साथ आरुषि को गाँव जाना ही पड़ा। समय बीतता जा रहा था। एक दिन आरुषि ने देखा कि,बच्चे किसी मेहमान के घर आने पर अभिवादन से लेकर मेहमाननवाजी तक सब-कुछ बखूबी कर रहे हैं। मंदिर जाना और माता-पिता के चरण स्पर्श करना आदि कार्य उनके संस्कारी होने का परिचय दे रहे हैं।
इस परिवर्तन की तह तक जाने पर आरुषि के आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। जिन बूढ़े सास-ससुर से आरुषि दूरी बना रही थी,उन्हीं ने आरव-आरुषि के बच्चों में यानि उनके पोते-पोतियों में संस्कार सिंचन में महती भूमिका निभाई है। आरुषी उस दिन स्वयं को बहुत धनवान और खुशनसीब समझ रही थी, क्योंकि उसे यह एहसास हो गया था कि वृद्धजन ही हमारी असली धरोहर है,जिनसे कुल के संस्कार का सिंचन होता है।
#अर्पण जैन ‘अविचल’
परिचय : अर्पण जैन ‘अविचल’ खबर हलचल न्यूज के संपादक है और पत्रकार होने के साथ साथ , शायर और स्तंभकार भी हैं| भारतीय पत्रकारीता पर शोध कर रहे हैं जैन ने ‘आंचलिक पत्रकारों पर एक पुस्तक भी लिखी हैं | अविचल ने अपने कविताओं के माध्यम से समाज में स्त्री की पीड़ा, परिवेश का साहस और व्यवस्थाओं के खिलाफ तंज़ को बखूबी उकेरा हैं और आलेखों में ज़्यादातर पत्रकारिता के आधार आंचलिक पत्रकारिता को ज़्यादा लिखा हैं | मध्यप्रदेश के धार जिले की कुक्षी तहसील में पले-बड़े और इंदौर को अपना कर्म क्षेत्र बनाया | बेचलर आफ इंजीनियरिंग (कंप्यूटर साइंस) से करने के बाद एमबीए और एम जे की डिग्री हासिल की | कई पत्रकार संगठनों के राष्ट्रीय स्तर की ज़िम्मेदारियों से नवाज़े जा चुके अर्पण जैन ‘अविचल’ भारत के २१ राज्यों में अपनी टीम का संचालन कर रहे हैं | भारत का पहला पत्रकारों के लिए बनाया गया सोशल नेटवर्क और पत्रकारिता का विकीपेडीया www.IndianReporters.com” भी जैन द्वारा ही संचालित किया जा रहा है|
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छोटे परिवार पर तमाचा
सादर धन्यवाद