मैंने देखा एक नजारा

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मैंने देखा एक नजारा,                                                                                      बसा जिसमें भारतवर्ष हमारा,                                                                              वेद पुराण,जहाँ साहित्य का बसेराl                                                                          हिमालय से निकले जहां,सूरज का सवेरा,                                                          तीन ओर से घिरा,महासागर की धारा|                                                                    यह है भारतम,भारतवर्ष हमाराll

मैंने देखा एक नजारा,बसा जिसमें भारत हमारा,
विदेशियों को प्यार करे,देशवासियों पर अत्याचार करे
बेटी बचाए,बेटी पढ़ाए,और शादी के लिए दामाद खरीदे,
पत्थर को भगवान बनाए,मंगल,बुद्ध,शनि कराए राम-रहीम,रहते हैं जीसस-गुरुगोविंद, आज़ादी के परिंदे के निशान,आज़ाद भगतसिंह जो बोले सो निहाल,अल्लाह हु अकबर, ॐ नमः शिवाय,ओह जीसस,मेरे रहबरll

मैंने देखा एक नजारा,बसा जिसमें हिंदुस्तान हमारा, हो जहाँ अन्धविश्वास गलियारा हरेक छात्र,जहाँ बेरोजगारी का मारा, कृषि प्रधान,भारत हमारा,वहीं किसान लाचार बेचारा मूरत को पूजे जाने की रीति, राम रहीम,जैसों की नीति करोड़ों की बने जहां मूरत, पर कोई न देखे गरीबों की सूरत स्कूल खोलेंगे,सारी सुविधाएं देंगे, पर कुर्सी मिलने के बाद,सब भूल जाएंगेll

यह है मेरा वास्तविक भारतl
यह है मेरा,हमारा,हम सबका भारतll

                                                                 #खुशबू कुमारी

परिचय:खुशबू कुमारी की जन्मतिथि-२० जनवरी १९९६ और जन्म स्थान-मैथन(धनबाद) हैl वर्तमान में आपका निवास एरिया न. ३ में मैथन डैम(धनबाद) के पास हैl झारखंड राज्य से सम्बन्ध रखने वाली खुशबू कुमारी ने 
गणित विषय से स्नातक की पढ़ाई की हैl लिखना आपकी पसंद का काम हैl 

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2 thoughts on “मैंने देखा एक नजारा

  1. यह रचना खुश्बू जी आपकी बहूत अच्छी हैं लेकीन इसके लिखने का तरीका अटपटा लग रहा हैं।
    तुक कहां से कहां जा रहे हैं।
    अतुकांत रचना भी नहीं लग रही जबकी।

    ओह जीसस का अर्थ क्या हैं।

    कृपया अन्यथा न लें। इससे सही व्यवस्थित करें।
    धन्यवाद

  2. जी जरूर इस पर मैं ध्यान दूँगी।। आपके सुझाव के लिये बोहोत बोहोत शुक्रिया।।

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