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वर्षा बीता शरद ऋतु आई,
चली ठंडी-ठंडी हवा पुरवाई|
खिले दूर-दूर तक फूल कास के,
हरियाली धरती की मांग सजी|
और प्रकृति अपनी अलौकिक सुंदर,
रूप की छटा लिए खिल उठीl
शरद ऋतु के इसी मौसम में,
झर-झर झरे शिवली के फूल भीl
शिवली के फूलों की मनमोहक सुगंध,
और कास के सफ़ेद फूलों की महक,
ढाक के काठी की बजी ध्वनि तरंगl
माँ दुर्गा की प्रतिमा अपने सुंदर,
अप्रतिम चंद्रिम रूप की आभा लिएl
हुई हमारे धरती पर अवतरण,
छायी ख़ुशी जन-जन में दुर्गा माँ
के धरती पर आने की उमंगll
#विनीता चैल
परिचय : झारखंड राज्य से सम्बन्ध रखने वाली विनीता चैल की जन्मतिथि १५जनवरी १९७७ एवं जन्मस्थान-रामडीह है। आपने इतिहास विषय से स्नातक की पढ़ाई की है। कार्यक्षेत्र आपका परिवार ही है। वर्तमान में झारखण्ड के शहर बुंडू (रांची) में चौक बाजार में निवास है। लेखन आपकी पसंद का काम है। कुछ प्रतिष्ठित दैनिक अखबारों में आपकी रचना प्रकाशित हुई है। लेखन का उद्देश्य रुचि है।
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