Read Time2 Minute, 23 Second
आओ मित्र हम हिंदी से प्यार कर लें।
नगद न सही तो उधार कर लें॥
ज्यादा से ज्यादा कर लें।
चलो हिंदी में नमस्कार कर लें॥
ज्यादा नहीं तो दो चार कर लें।
आओ हिंदी से प्यार कर लें॥
आओ मिलकर हिंदी को अपनाएं।
आओ हिंदी के हिंदी में गुण गाएं॥
हिंदी तो एक भाषा है,माता की परिभाषा है।
हिंदी ही राष्ट्र की भाषा है,देश की परिभाषा है॥
आओ हम सब हिंदी अपनाएं।
हिंदी से गर्व का अनुभव पाएं॥
आओ मिलकर हिंदी दिवस मनाएं।
लेकिन,हिंदी में ही हिंदी के गुन गाए॥
हिंदी अब तो एक चुनौती है।
जो अपने सम्मान को रोती है॥
राज्य और राष्ट्र का अंतर भूल के।
हिंदी भाषी बन जाएं,हिंदी के ही गुण गाएं॥
हम, हिंदी का सम्मान करें।
और हिंदी की बात करें॥
हम हिंदी से प्यार करें।
हिंदी का गुणगान करें॥
हम हिन्दी से प्यार करें।
और राष्ट्र का सम्मान करें॥
#डॉ. विष्णुकान्त अशोक
परिचय: डॉ. विष्णुकान्त अशोक की जन्मतिथि-१० जुलाई १९७० एवं जन्म स्थान-हाथरस(उ.प्र.)है। आपका निवास उत्तर प्रदेश के शहर-हाथरस में ही है। शिक्षा-एमए के साथ ही पीएचडी (अंग्रेजी) है,जबकि कार्यक्षेत्र-वाराणसी, देवरिया,हाथरस है। सामाजिक क्षेत्र-जनपद हाथरस है। आपने मिश्रित विधा अपनाई हुई है। नई दिल्ली से एक प्रकाशन ने आपकी किताब छापी है। आपके लेखन का उद्देश्य-देशभक्ति की भावना जिंदा रखना,सामाजिक भेदभाव पर प्रहार,जातिवाद का जहर कम करना,इंसानियत का प्रसार,स्वस्थ्य मनोरंजन, नई सोच पैदा करना,चीजों- घटनाओं को सही और अलग नजरिए से देखना और दिखाना है। साथ ही भारत को सबसे अच्छा और सबसे श्रेष्ठ राष्ट्र बनाने में प्रयास करना है।
Post Views:
565