किसने देखी है,
मोनालिसा की हँसी…
शायद चित्रकार ने,
या तुमने या हमने..
शायद किसी ने नहीं|
गाँव की पगडंडी पर,
पहाड़ों और खेतों की मेढ़ पर
बकरियाँ चराती थावरी की हँसी,
भुला देती है मोनालिसा को|
लेकिन तब वहाँ न
चित्रकार होता है,
न फोटोग्राफर
होती है सिर्फ़ प्रकृति की उन्मुक्त हँसी |
जो प्रकृति के साथ
खिलखिलाती है
और तब…
बकरियों का मिमियाना,
थावरी का हँसना,
सब हो जाता है एकाकार ,
यही है हरियाली प्रकृति का शानदार उपहार |
#स्वप्निल शर्मा
लेखक परिचय : पत्रकारिता व लेखन के पेशे में सक्रिय मनावर(म.प्र.) निवासी स्वप्निल शर्मा के अब तक पाँच काव्य संग्रह आ चुके हैं| स्नातकोत्तर तक शिक्षित श्री शर्मा को २०१६ में राँची में अखिल भारतीय अंबिका प्रसाद दिव्य कविता पुरस्कार तथा स्पेनिन साहित्य गौरव से सम्मानित किया गया है| इनकी रचनाओं में देश की समस्या, राजनीति और प्रकृति का तालमेल झलकता है|
सुन्दर रचना!!!