तड़प रहा हूँ भूख से मैं,
खाना-पीना मिला नहीं,
क्या करता मैं काम भाइयों,
दर-दर ठोकर खाई हैl
नेता कहते थे तुम्हारी
नौकरी है पक्की,
इतनी मेहनत का जो था
उसको भी मैंने गँवायाl
जो बचा था जीने को
उससे शिक्षा का कर्ज पटाया,
आ गया हूँ सड़क पर
अब छत भी है नहीं,
रोटी कमाने जाता हूँ तो
मिलती है गाली मुझे,
तू किसी काम का नहींl
कहते हैं सब मुझे
टूट चुका हूँ मैं अब तो,
मुझसे कुछ होता नहींl
भटक रहा हूँ राह पर
खाना-पीना मिला नहीं,
ये गरीबी किसे बताऊँ
कोई मेरी सुनता नहीं,
घर में जाओ तो नकारा
कह रहे हैं लोग मुझको,
कहाँ मिलेगी मुझको रोटी
बस यही मैं सोचता हूँ,
कैसे हटे मेरी गरीबी
युक्ति वो मिलती है नहींl
राह मिल जाए ऐसी कि,
अपनों को खुश रख सकूँll
साहिल'
परिचय : डॉ.राहुल शुक्ल साहित्यिक जगत में `साहिल` के रुप में जाने जाते हैंl आप कला में स्नातक(इलाहाबाद)हैं, तथा २००८ में बीएचएमएस (ग्वालियर,मप्र)किया है l साहित्य क्षेत्र में उपलब्धि की बात करें तो स्थानीय पत्र–पत्रिकाओं में आपकी कविताएं प्रकाशित होती हैंl शिक्षित परिवार के डॉ.शुक्ल के जीवन का उद्देश्य-रुचि यही है कि,पिछड़े क्षेत्र एवं ग्रामीण–शहरी लोगों की चिकित्सकीय सेवा करेंl आप वैज्ञानिक अध्यात्मवाद में रुचि रखने के साथ ही हिन्दी साहित्य का अध्ययन व सकारात्मक लेखन करते हैंl कृतित्व में साझा काव्य संकलन है तो छन्दमुक्त कविता,छन्द,गीत,घनाक्षरी छन्द,गद्य लेख और लघुकथा,सूक्तियाँ आदि आप लिखते हैंl करीब २ साल से साहित्यिक लेखन में लगे हुए हैं और उप्र के तेलियलगंज(इलाहाबाद) में आपका रहना हैl