सुबह-सुबह जब मैं कार्यालय के लिए तैयार हो रही थी,तभी फोन की घंटी बजीl मैंने फोन उठाया,दूसरी तरफ से आवाज आई `मैडम चौकीदार ने आज फिर बच्ची के साथ अभद्र व्यवहार किया है`, मैडम ऐसा तीसरी बार हुआ है। हर बार मुझे ही छोड़ो जाने दो कहकर शांत कर दिया जाता है।
बच्चियों द्वारा जब भी कोई शिकायत की गई,मेरे द्वारा सभी जिम्मेदार लोगों को अवगत कराया गया,किंतु आज तक किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं आया। बस बदलती है तो सिर्फ बच्चियां।`
मैडम अजीब बात है,उन बच्चियों के माता-पिता को भी डरा-धमकाकर या तो शांत कर दिया जाता है,या मुझ पर ही कोई उल्टा आरोप लगाकर मुझे ही मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। ऐसा क्यों होता है मैडम?`
`ऊपर से लेकर नीचे तक के सारे जिम्मेदार लोग सिर्फ मामले को रफा-दफा करने में लग जाते हैं। आखिर आप ही बताइए-मैं कहाँ जाऊं,किससे शिकायत करूँ, कौन है ऐसा जो मुझे और मेरी बच्चियों को न्याय दिला सके।`
इससे पहले कि मैं कुछ कह पाती,बोलते-बोलते उसका गला भर आया और फोन कट गया।
मेरे जहन में एक सवाल तीर की तरह आज भी चुभ रहा है कि `आखिर कौन है ऐसा जो मुझे और मेरी बच्चियों को न्याय दिला सके।`
परिचय : श्रीमती सुधा कनौजे मध्यप्रदेश के दमोह में न्यू हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी (विवेकानंद नगर) में रहती हैंl श्रीमती कनौजे दमोह के जिला शिक्षा केन्द्र में एपीसी(जेण्डर) हैंl