वक्त बेवक्त रूठ जाते हैं,
सौ जतन करते हैं मनाते हैंl
वो कोई नज़्म थी अधूरी-सी,
अब तलक हम उसे ही गाते हैंl
लम्हा-लम्हा गया उदासी में,
कतरा-कतरा वो याद आते हैंl
दिल मेरा तोड़कर वो रख देगा,
फिर भी हम उसको आज़माते हैंl
बेवफ़ा हो ही वो नहीं सकता,
बारहा खुद को ये बताते हैंl
#अमित वागर्थ
परिचय : अमित वागर्थ की शिक्षा-एम.ए.(हिन्दी साहित्य),डी.फिल. तथा यूजीसी ‘नेट’ जेआरएफ है। आप पेशे से अध्यापक हैं। जन्म १९८४ में आम्बेडकर नगर में हुआ है।वर्तमान में आपका निवास इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) में है। रचनाओं का प्रकाशन विविध पत्र-पत्रिकाओं में आलोचनात्मक लेख,गीत व ग़ज़लों के रुप में होता है।रेडियो चैनल से ग़ज़ल का प्रसारण हो चुका है।