कैसे मैं आभार जताऊँ

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अक्षर ज्ञान सिखाया तुमने ।
जग संसार दिखाया तुमने ।
वचन आपके भूल न पाऊँ ।
कैसे मैं आभार जताऊँ ।

जीवन का अंधकार मिटाया ।
स्वप्नों को साकार बनाया ।
सीख आपकी सदा निभाऊँ ।
कैसे मैं आभार जताऊँ ।

सदा सत्य की राह बताकर ।
सादा जीवन चाह बनाकर ।
गुरु पद चिह्नों को अपनाऊँ ।
कैसे मैं आभार जताऊँ ।

शब्द मेरे जो निखरे तुमसे ।
प्रेम भाव जो बिखरे तुमसे ।
अपने आँचल में भर पाऊँ ।
कैसे मैं आभार जताऊँ ।

चरित्र मेरा गढ़ डाला तुमने ।
सरल भाव दे डाला तुमने ।
दीप तिमिर में सदा जलाऊँ ।
कैसे मैं आभार जताऊँ ।

हृदय में सम्मान जगाया ।
दया भाव और ज्ञान समाया ।
सेवा भाव से कर्म निभाऊँ ।
कैसे मैं आभार जताऊँ ।

चंद्रमणि मणिका, नई दिल्ली

नाम – चंद्रमणि ‘मणिका’
पिता – श्री खेमचंद जी
माता – श्रीमती राजबाला देवी
पता – दिल्ली – 81
जन्मतिथि – 29/01
शिक्षा– एम. ए. , बी. एड. , एम. एड. , एडिशनल बी. एड. , प्री. पीएच. डी.
व्यवसाय– प्रधानाचार्या (पराग ज्योति पब्लिक स्कूल )
प्रकाशित पुस्तकें – (साँझा काव्य सँग्रह ) मेरा भी मत , काव्य चेतना , समवेत , माँ भाग -2 , वतन के रखवाले , सहोदरी सोपान – ६ , काव्य एवं कहानी सँग्रह 2017 , काव्य एवं कहानी सँग्रह 2018 आदि ।
अन्य प्रकाशित रचनाएँ – पर्यावरण को स्वच्छ बनाओ(डॉटला एक्सप्रेस गाज़ियाबाद) , कविता (हरियाणा प्रदीप) , समाज आज का लेख (पत्रिका काव्य स्पंदन) , पहचान उसकी , कुंभ (चित तरंगिणी पत्रिका) , jknews 24×7 चैनल पर कविता वाचन
सम्प्रति– मार्गदर्शिका ( जन भाषा हिंदी डॉट कॉम ) ,अध्यक्ष (राष्ट्रीय साहित्य चेतना मंच दिल्ली ) सूचना प्रभारी (रीयल हैल्प ब्यूरो दिल्ली )

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